हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में कुटुंब न्यायालय (Family Court) ने एक पीड़ित महिला को उसके पति से गुजारा भत्ता दिलाया है। कोर्ट ने कहा कि महिला पढ़ी-लिखी क्यों न हो, जब तक वह पति के घर में थी पति उसे खिला रहा था। लेकिन पति के घर से निकाले जाने के बाद उसके पास कोई सहारा नहीं है जिस वजह से पति को उसे 12 हजार रुपए भरण पोषण देना होगा। दरअसल महिला के कमरे में उसका ससुर तांक झांक करता था। साथ ही उसके साथ छेड़छाड़ करता था। जिसके बाद महिला ने परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
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दरअसल इंदौर के कुटुंब न्यायालय ने हाईकोर्ट के पुराने जजमेंट के आधार पर टिप्पणी करते हुए फैसला सुनाया है। जिसमें पीड़ित महिला को उसके पति से 12 हज़ार रुपये का भरण पोषण दिलाया गया। एडवोकेट कृष्ण कुमार कुनेरे ने बताया कि पीड़िता ने परिवार के खिलाफ 498 ए का प्रकरण दर्ज कराया था। इसके अलावा ससुर के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला भी दर्ज कराया गया था।
महिला का ससुर उसके साथ अश्लील हरकत करता था और कमरे में ताका झांकी करता था। इसी को आधार बनाकर पीड़ित पक्ष के वकील ने कोर्ट के समक्ष रखा और हाई कोर्ट का एक पुराना जजमेंट प्रस्तुत किया गया था। जिसमें भले ही महिला पढ़ी-लिखी क्यों ना हो जब तक वह पति के घर में रह रही थी तब तक पति उसे खिला रहा था। लेकिन मामला दर्ज होने के बाद पति ने उसे घर से निकाल दिया और उसका खाना पीना बंद कर देता है।
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इसे देखते हुए कुटुम्ब न्यायालय ने पति से 12 हज़ार रुपए का भरण पोषण देने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट के फैसले से उन महिलाओं में एक नई आस जाग गई है जिन्हें यह कहा जाता है कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को पति के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी भत्ता नहीं मिलता है।
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