इंदर कुमार,जबलपुर। मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर छिड़ी सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. सड़क से लेकर सदन तक गूंज सुनाई दे रही है. सरकार भी कभी आगे तो कभी पीछे कदम कर रही है. मामला कोर्ट के की दहलीज में भी फंसा हुआ है. बीते 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से मामले में ओबीसी सीटों पर स्टे के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने रिकॉल पिटिशन दाखिल कर दिया है. 3 जनवरी को संभवत: सुनवाई होने की गुंजाइश है. सरकार का कहना है कि वह रिकॉल पिटिशन के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग करेगी कि वह मध्य प्रदेश में ओबीसी सीटों पर चुनाव कराने की अनुमति दें.

क्या सरकार फिर जनता को कर रही गुमराह ?

सवाल यह उठता है कि प्रदेश सरकार की रिकॉल पिटिशन कितनी न्याय संगत है. क्या इस पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट से ओबीसी वर्ग को फायदा मिलेगा ? दरअसल यह सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि पंचायत चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बेंच ने पहले ही ओबीसी आरक्षण को लेकर रोक लगा दी है. हुबली केस में सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बेंच ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण 50% से ऊपर नहीं जाना चाहिए, तो फिर सवाल यही उठता है कि जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ट्रिपल बेंच ने आदेश सुना दिया है, तो फिर क्या उसी सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच अपने से बड़ी बेंच के फैसले को बदल सकती है.

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सरकार 15 सितंबर की याचिका पर क्यों नहीं लगा रही रिकॉल पिटिशन ?

मध्य प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल इसलिए भी उठता है कि सरकार को यदि देखा जाए, तो तकनीकी तौर पर अपनी याचिका जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर को फैसला सुनाया था, सबसे पहले उस पर रिकॉल पिटिशन लगाना चाहिए. जबकि सरकार कर यह रही है कि 17 सितंबर को आए फैसले पर रिकॉल पिटिशन लगा रही है, जो कि सरकार की याचिका है ही नहीं.

तकनीकी तौर पर होना क्या चाहिए ?

मध्य प्रदेश सरकार यदि पंचायत चुनाव में ओबीसी को रिजर्वेशन देना चाहती है, तो सबसे पहले सरकार को सुप्रीम कोर्ट की उस ट्रिपल बेंच में रिव्यू पिटीशन लगाना होगा, जिस बेंच ने पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई थी. यदि इस ट्रिपल बेंच के जरिए ओबीसी मामले को सुलझा लिया जाता है, तो उसके बाद सरकार को उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट की उस डबल बेंच में रिकॉल पिटिशन लगाना चाहिए, जिस डबल बेंच ने पिछले दिनों 15 और 17 दिसंबर को ओबीसी सीटों पर स्टे दिया था.

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एक साथ भी लगाई जा सकती है तीनों सिटीजन 

मध्य प्रदेश सरकार यदि चाहे तो सुप्रीम कोर्ट की उस ट्रिपल बेंच में जिसने गबली केस पर फैसला दिया था, उसमें रिव्यू पिटिशन के साथ ही 15 और 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में रिकॉल पिटीशन एक साथ दाखिल कर सकती है.

ट्रिपल बेंच से फैसला आया तो हो जाएगा रास्ता साफ

यदि मध्य प्रदेश सरकार गबली केस की ट्रिपल चेंच में रिव्यू पिटीशन लगाती है और वहां से कोर्ट ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ कर देती है, तो उसके बाद आगे का रास्ता साफ हो जाएगा. यानि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में ओबीसी सीटों पर लगा स्टे हट जाएगा. इससे मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के रास्ते में अटक रहा अरोड़ा साफ हो जाएगा.

निकाय चुनाव के लिए भी खुलेगा रास्ता

दरअसल मध्य प्रदेश सरकार को यह सारी जद्दोजहद इसलिए भी करनी चाहिए, क्योंकि इसके बाद प्रदेश में निकाय चुनाव भी होने वाले हैं. लिहाजा यदि पंचायत चुनाव में ओबीसी को लेकर रास्ता साफ होता है, तो ये कह सकते हैं कि आगे निकाय चुनाव में किसी तरह की परेशानी सरकार को नहीं झेलनी होगी.

ओबीसी आयोग की क्या रही भूमिका ?

अगर हम बात करें मध्य प्रदेश ओबीसी कमिशन की, तो उसकी भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है. सवाल इसलिए भी क्योंकि यदि ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर जैसे की पहले से हाईकोर्ट में मुद्दा चल रहा है. यदि ओबीसी आयोग में समय रहते सरकार को रिपोर्ट में ओबीसी का डाटा दे दिया होता, तो ना तो ओबीसी रिजर्वेशन पर रोक लगती और ना ही पंचायत चुनाव में इस तरह की अड़चन आती.

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