धनराज गवली, शाजापुर। मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में कार्तिक मास की दशमी पर ऐतिहासिक कंस वधोत्सव का आयोजन हुआ। गुरुवार रात शहर में कंस वध की 270 साल पुरानी अनूठी परंपरा निभाई गई। इस दौरान वाकयुद्ध हुए और रात 12 बजे कंस चौराहे पर मंच पर विराजित कंस के पुतले का लाठी-डंडों से पीटकर वध किया गया।

शाजापुर में गुरुवार की रात सड़कों पर भगवान श्रीकृष्ण और कंस के दरबारियों के बीच वाक युद्ध हुआ। जिसमें वाक युद्ध के अंश अरे ओ नादान छोकरे, तेरे मामा कंस का गुस्सा आज तेरे पर फूटा, तेरे ही कारण गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी का ब्रिज टूटा। अरे मामा…ग्वालों के पीछे कितने ही लगा दिया जाए जोर, किंतु तुझसे ना मारा जाएगा ये माखन चोर। ऐ कन्हैया…कंस चौराहे पर अब नहीं चलेगा तेरा खेल, अवैध काम करने वालों का अब प्रशासन निकाला देगा तेल। अरे ओ मामा…हम काल पुरुष है शत्रुंजयी, है काल हमारे हाथों में, अंत तेरा आ गया है अब मत उलझा बातों में। अरे ओ कान्हा…मेरे में है काले जादू का साया, कहीं धूप कहीं छाया, मुझे अच्छे-अच्छों ने आजमाया, भरे बाजार में समाप्त कर दूंगा मैं तेरी काया। अरे मामाजी…मनमोहन नाम है मेरा, चितचोर भी कहलाता हूं, तलवारों की बातें करता हैं, मैं नजर से मार गिराता हूं।

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शहर में गुरुवार को 270 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक कंस वधोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया गया। रात करीब 9 बजे बालवीर हनुमान मंदिर से देव और दानवों का रूप धरे कलाकारों का चल समारोह निकाला गया। पूरे रास्ते राक्षस बने कलाकार अट्टाहास करते हुए अपने-अपने रथ पर सवार थे, वहीं भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, धनसुख, मनसुखा बने कलाकार अपनी मुस्कुराहट से लोगों का मन मोह रहे थे।

पहली बार कंस वधोत्सव पर नगर में तीन स्थानों पर देव-दानवों के बीच वाक युद्ध हुआ। इसमें गवली मोहल्ला, आजाद चौक और सोमवारिया बाजार शामिल है। बालवीर मंदिर से शुरू हुआ चल समारोह सोमवारिया बाजार, मगरिया, बस स्टैंड, नई सड़क, आजाद चौक होते हुए कंस चौराहा पर पहुंचा। कंस वधोत्सव समिति संयोजक तुलसीराम भावसार, समिति के पदाधिकारी अजय उदासी और संजय शर्मा ने कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व विधायक पुरुषोत्तम चंद्रवंशी, श्रीकृष्ण व्यायामशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष वीरेंद्र व्यास, समाजसेवी रूपकिशोर नवाब, नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम जैन, पूर्व नपाध्यक्ष प्रदीप चंद्रवंशी, सर्व हिंदू उत्सव समिति अध्यक्ष दिलीप भंवर, उपाध्यक्ष रामचंद्र भावसार, राजकुमार (कन्नू) शर्मा, संतोष बराड़ा आदि का स्वागत किया।

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रात 12 बजे हुआ कंस वध

नगर में चल समारोह के बाद रात करीब 11.45 बजे कंस चौराहा पहुंचे। गवली समाजजनों का कंस वधोत्सव समिति द्वारा स्वागत किया गया। इसके बाद श्रीकृष्ण बने कलाकार ने कंस के पुतले का पूजन कर मंच से नीचे पटक दिया। जिसे गवली समाज के लोग लाठी-डंडे से पीटते हुए अपने साथ ले गए। कार्यक्रम के पहले रात करीब 7 बजे एसपी जगदीश डावर मय पुलिस बल के कंस चौराहा पहुंचे और समिति संयोजक भावसार सहित अन्य से पूरे कार्यक्रम की जानकारी ली।

इन्होंने निभाई देव और दानवों की भूमिका

कंस वधोत्सव कार्यक्रम में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में सौरभ भट्ट, बलराम के रूप में राजकुमार पांडे, धनसुखा के रूप में ऋषभ भट्ट और मनसुखा के रूप में प्रखर पांडे थे। इसी तरह कंस की सेना में मुख्य रूप से करीब 20 वर्ष से राक्षस का पात्र निभा रहे विलेश व्यास सेनापति की भूमि में थे। व्यास द्वारा स्वयं के तैयार किए संवाद के माध्यम से वर्तमान घटनाओं पर कटाक्ष करते हुए शहर की समस्याओं पर भी लोगों का ध्यानाकर्षित कराया। इसके अतिरिक्त राक्षसों की सेना में सुनील बाबा, राजा सोनी, मान सिंह, विशाल देवातवाल, अभिषेक देवातवाल, अमित विश्वकर्मा, नवीन खत्री, महेश सोलंकी आदि शामिल रहे।

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