नई दिल्ली। मैगी वो नाम जो एक वक्त बच्चे-बूढ़े सभी की जबान पर था. जब भी इंस्टेंट फूड का नाम आता था, वहां मैगी का जिक्र जरूर होता था. यहां तक कि इसके ऐड का पंच लाइन- ‘मम्मी मम्मी भूख लगी मैगी चाहिए मुझे अभी’ एक वक्त बच्चे-बच्चे की जुबां पर था. लेकिन बाद में इसके अंदर ऐसे तत्व पाए गए, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक थे.
एक बार फिर मैगी का सैंपल फेल
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर प्रशासन ने मैगी के सैंपल को जांच के लिए भिजवाया था, जो फेल हो गया है. जिसके बाद नेस्ले इंडिया और इसके डिस्ट्रीब्यूटर्स पर 62 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. इधर नेस्ले इंडिया ने सफाई देते हुए कहा है कि ‘ये त्रुटिपूर्ण मानकों को प्रयोग में लाने का मामला है’. शाहजहांपुर में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कंज्यूमर गुड्स कंपनी मैगी और इसके वितरकों पर 62 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
मैगी नूडल्स में ऐश कंटेंट की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है. वहीं नेस्ले इंडिया ने कहा है कि अभी हमें जांच रिपोर्ट नहीं मिली है और इसके मिलते ही हम अपील दायर करेंगे. कंपनी के प्रवक्ता ने ये भी कहा कि ये सैंपल 2015 में हैं और 2015 में किसी तरह के मानक तय नहीं थे. वहीं कंपनी ने मैगी को खाने के लिए 100 फीसदी सुरक्षित बताया.
गौरतलब है कि मैगी की गुणवत्ता को लेकर 2 साल पहले देशभर में इसकी जांच की गई थी. नमूने फेल पाए जाने पर इसका विरोध भी किया गया था. बाद में नेस्ले ने वितरकों से मैगी के तमाम उत्पाद बाजार से वापस मंगवा लिए थे. कुछ महीनों बाद फिर से मैगी को बाजार में उतारा गया था.