रायपुर. भगवान शिव के प्रति हिंदू धर्म में गहरी और विशेष आस्था है. शिव को अनंत माना गया है. शिव की पूजा और भक्ति करने से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

मान्यता है कि सच्चे मन से शिव भक्ति करने वाले भक्तों पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है. शिव को देवों के देव महादेव का दर्जा इसलिए ही दिया गया है. पुराणों के अनुसार शिव ही सृष्टि के सृजनकर्ता हैं. शिव की पूजा करने के लिए हर दिन ही श्रेष्ठ है, लेकिन फिर भी सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है शिवजी के लिए सोमवार का व्रत, सावन माह में पड़ने वाले सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि व्रत रखे जाते हैं. एक साल में 12 शिवरात्रि पड़ती है लेकिन इन 12 में से फाल्गुन की शिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक है. यह शिवरात्रि कोई साधारण शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि होती है. इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है जिससे समस्त कष्टों का निवारण होता है.

हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही शंकर जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. साथ ही इसी दिन महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का शिवलिंग अवतार हुआ था. इसी तिथि पर सर्वप्रथम शिव को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए उनके शिवलिंग स्वरूप की भगवान विष्णु और ब्रह्माजी द्वारा पूजा अर्चना हुई थी. मान्यता है कि इस कारण ही महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की भी खास आराधना की जाती है.

ईशान संहिता कहती है कि इस दिन भगवान शिव अवतरित हुए थे. अपने भोलेनाथ के विशेष भक्ति और लगाव के चलते और समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए शिव-भक्त इस दिन अपने घर और मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत करते हैं. चूंकि महाशिवरात्रि का संबंध रात्रि से होता है इसलिए इस रात्रि-जागरण करने का भी विशेष महत्व है. धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय आधार पर महाशिवरात्रि पर्व का बहुत महत्व है. इस संबंध में ईशान संहिता में एक श्लोक भी लिखा गया है जो कि इस प्रकार है-

फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।

शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ।।

ईशान संहिता का यह श्लोक कहता है कि ज्योतिर्लिंग के प्रभाव के कारण इस पर्व महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं. इसलिए इस दिन शिवलिंग की भी वंदना की जाती है. महाशिवरात्रि के व्रत को सभी लोग कर सकते हैं. इस दिन शिवलिंग पर दूध, दही,जल,पुष्प, बेलपत्र, धतूरा और बेर आदि चढ़ाए जाने का रिवाज है. मान्यता यह भी है कि जो भी जातक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है और जीवन के बाद मृत्यु होने पर बैकुंठ धाम जाने का सुख मिलता है. मोक्ष प्राप्ति मिल जाती है. संसार में सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिल जाती है. कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए इसदिन खासतौर पर व्रत रखती हैं.

कहा जाता है कि शिव को पाने के लिए पार्वती माता ने भी उपवास करा था और फिर इसी दिन दोनों का विवाह हुआ था. विधिविधान से जो भी भक्त भगवान शिव का ध्यान रखते हैं, उनकी सभी मनोकामना भोलेनाथ पूरी कर देते हैं. महाशिवरात्री के व्रत के जैसा पाप और भय का नाश करने वाला दूसरा कोई व्रत नहीं है. इसके करने मात्र से ही सभी तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और आत्मा की शुद्धि होती है. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन जहां- जहां भी शिवलिंग स्थापित है, उस स्थान पर भगवान शिव का स्वयं आगमन होता है. शिव अपने भक्तों को सच्चे दिल से आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत सामाजिक, आर्थिक सभी तरह के लाभ पहुंचाता है. जो भी जातक सच्ची श्रद्धा से महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन सभी के कष्टों को भगवान शिव हरण कर लेते हैं, यही कारण है कि सभी व्रतों में महाशिवरात्रि का व्रत सबसे प्रभावशाली और लाभकारी व्रत माना जाता है.