अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन किले में स्थित भगवान शिव मंदिर में महाशिवरात्रि (mahashivratri) श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। दुर्ग पहाड़ी पर स्थित प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर (Someshwar Dham Temple) को फूलों से सजाया गया। शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और विभिन्न पूजन सामग्री से पूजा अर्चना की। इस मंदिर की खास बात यह है कि पहाड़ी पर स्थित सोमेश्वर धाम को शिवरात्रि के दिन ही खोला जाता है। इसके बाद मंदिर में पुरातत्व विभाग ताला लगा देता है।

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बिना किसी जुर्म के भगवान शिव लोहे की सलाखों में हैं कैद

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 44 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए रायसेन की दुर्ग पहाड़ियों पर सोमेश्वर धाम है। बिना किसी जुर्म के भगवान शिव को आजादी के बाद से ही लोहे की सलाखों में कैद कर रखा है, जिससे भक्तों के मन में पीड़ा है। वर्ष 1974 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने 1 दिन के लिए शिवरात्रि के दिन मंदिर का ताला खोलने की परंपरा प्रारंभ की थी। तब से ही महाशिवरात्रि पर इस दुर्ग पहाड़ी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। भगवान शिव के भक्त और कावड़िए दूरदराज के इलाकों से पवित्र जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।

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मंदिर का इतिहास

11वीं शताब्दी में बनाए गए रायसेन किले पर भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। जहां पर तत्कालीन राजा-रानी और प्रजा भगवान शिव का दर्शन कर पूजा अर्चना करते थे। मंदिर के तहखाने में 32 खंभे हैं जिन पर यह शिव मंदिर आज भी टिका हुआ है। इस मंदिर की पूर्व दिशा से उदित होने वाले सूर्य के प्रकाश की किरण जैसे ही इस मंदिर पर पड़ती हैं तो यह मंदिर स्वर्ण महल की तरह सुशोभित होने लगता है। इस मंदिर में दो शिवलिंग स्थापित किए गए हैं।

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सन 1543 में रायसेन के राजा पूरणमल को शेरशाह ने युद्ध में हरा दिया था। इसके बाद शेरशाह ने मंदिर के शिवलिंग को हटाकर इसे मस्जिद घोषित कर दिया। वहीं मंदिर के गर्भ गृह के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति सहित अन्य हिंदू मान्यताओं के चिन्ह स्थापित रहे। जिससे यह साबित होता रहा है कि यह एक मंदिर है। देश आजाद हुआ तो प्रशासन ने सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए मंदिर के पट बंद कर दो ताले लगा दिए। मंदिर के पास शिवलिंग लावारिस अवस्था में पड़ा था। यह सब देख हिंदुओं के मन में कहीं ना कहीं पीड़ा बरकरार रही थी। जिसके चलते 1974 में कृष्ण गोपाल महेश्वरी की अध्यक्षता में रायसेन दुर्ग मंदिर खोलो समिति का गठन किया गया। समिति में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी शामिल थे। रायसेन दुर्ग मंदिर संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल रायसेन के तत्कालीन कलेक्टर एसके अग्रवाल से मिला और उनसे जन भावनाओं को शासन तक पहुंचाने का निवेदन कर ज्ञापन सौंपा। शहर में मामले को लेकर कई आंदोलन हो चुके हैं। लोगों की मांगों को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने 1 दिन महाशिवरात्रि के दिन मंदिर का पट खोलने का आदेश जारी किया। तब से ही महज 1 दिन के लिए शिवरात्रि के पावन पर्व पर इस मंदिर को शिव भक्तों के लिए खोला जाता है।

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भगवान को पूर्व सीएम उमा भारती ने भी लिया संकल्प

मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने लोगों की जन भावनाओं को देखते हुए भगवान सोमेश्वर महादेव को आजाद कराने का प्रण लिया हुआ है। उन्होंने महादेव शिव का जलाभिषेक करने और ताला खोलने तक अन्न ग्रहण ना करने की बात अपने उद्बोधन में कही थी। व्यवस्थाएं भंग होने के डर से प्रशासन ने तत्कालीन समय उमा भारती के सहयोगियों को रास्ते में ही रोक लिया था। जिसके बाद मजबूरन उमा भारती को मंदिर के बाहर से ही भगवान शिव का जलाभिषेक कर लौटना पड़ा था।

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मंदिर को खोले जाने को लेकर शिवभक्तों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि भोलेनाथ को बिना किसी जुर्म के लोहे की सलाखों में कैद किया गया है। पूरा देश आजादी के बाद आजाद हो गया था पर हमारे भोले बाबा को देश आजाद होने के बाद से ही कैद में रखा गया है। जिस की पीड़ा हमेशा हमारे मन में रहती है, हम तब तक मांग करते रहेंगे जब तक हमारे आराध्य को लोहे की सलाखों से मुक्त नहीं कर दिया जाता है।

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