रायपुर. उदंती अभयारण्य और उसके आस-पास के जंगलों में अवैध कटाई मामले पर वन विभाग ने बड़ी करवाई की है. विभाग ने छैला, धनोरा व पीपलखुंटा वन प्रबंधन समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है. इसका आदेश गरियाबंद वन मंडल अधिकारी मयंक अग्रवाल ने जारी किया है. आदेश में कहा कि परिक्षेत्र इंदागांव (देवभोग) के वन प्रबंधन समिति छैला को आंबटित वन क्षेत्रों की सुरक्षा 10 सालों से नहीं किया जा रहा था. समितियों पर आरोप है कि वह वनों की सुरक्षा करने में असफल व पूरी तरह निष्क्रिय रहा है. इसलिए समिति की मान्यता समाप्त करने की अनुशंसा की गई थी.

गौरतलब है कि टाइगर रिजर्व उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व की इंदागांव (बफर) परिक्षेत्र मेंओडिशा के अतिक्रमणकारियों ने सैकड़ों हैक्टेयर के जंगल काट दिए हैं. ये कटाई कक्ष क्रमांक 1204,1205, 1208 और 1210 तक फैले क्षेत्र में हुई है. मामले में वन विभाग ने तीन अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित किया था. इलाके के कई ग्रामीणों की गिरफ्तारी की गई.

बता दें कि 28 सितंबर को उदंती रिज़र्व के ग्राम धनौरा के ग्रामीणों ने वनमंत्री मोहम्मद अकबर से उदंती टाइगर को बचाने की गुहार लगाई थी. ग्रमीणों ने बताया था कि हज़ारों हेक्टेयर जंगल उदंती में ओडिशा के लोगों ने काट डाला है और वे घने जंगल में अवैध तरीके से रह रहे हैं. जिसके बाद वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने इसकी व्यापक जांच कराने की बात कही थी.

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इसके बाद वन विभाग ने एपीसीसीएफ देवाशीष दास की अगुवाई में एचएल रात्रे, मयंक अग्रवाल, विष्णु नायर की टीम 4 और 5 अक्टूबर को जांच करने घटनास्थल पहुंची. इससे पहले ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत गरियाबंद जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से 19 सितंबर को की थी. जिसके बाद वन विभाग ने कार्रवाई करके अवैध रुप से रह रहे ओडिशा के 26 घुसपैठियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा.

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ग्रामीणों का कहना था कि धनौरा पंचायत के ही आश्रित गांव पीपलखुंटा के वन प्रबंधन समिति के सदस्यों ने ओडिशा के लोगों को जंगल काटने में सहयोग दिया. ग्रामीणों के आरोपों के घेरे में पीपलखुंटा के सरपंच नीलांबर और वहां के रेंजर गंगवैर भी शामिल थे. ग्रामीणों ने ये भी आरोप लगाए कि ओडिशा के लोगों को बसाने और वनाधिकार पट्टा दिलाने के नाम पर उनसे 10-10 हज़ार रुपये वसूले गए.

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