सुकमा। नक्सलियों ने शुक्रवार को चिंतागुफा के उपसरपंच, मुखिया समेत आठ लोगों का अपहरण कर लिया. बताया जाता है कि पिछले तीन दिनो से इन सभी को जंगलो में रखा गया.  कुछ माह पूर्व पंडा ने पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया था जिससे नक्सली नाराज थे यही वजह मानी जा रही है. इधर पंडा ने भी पतासाजी करनी शुरू कर दी साथ ही बरबरा राव से बात भी की. वहीं एसपी अभिषेक मीणा ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि उन लोगों का पुलिस से कोई लेनादेना नहीं है, उन्हे छोड़ दे.

जानकारी के मुताबिक आत्मसमर्पित नक्सली पंडा जो चिंतागुुफा का निवासी है. शुक्रवार को पोड़ियामी पंडा की पत्नि पोड़ियामी मुये, पुत्र पोड़ियामी कोसा, पोड़ियामी राजा को नक्सली अपने साथ जंगल में ले गऐ. वही दूसरे दिन शनिवार को कवासी मंगा, कवासी सोना, कवासी नंदा ये तीनो गांव के मुखिया है. साथ ही उपसरपंच तिरमणी सेठिया का अगवा कर नक्सली उन सभी आठ लोगो को जंगल की और ले गऐ. जिनका आज तक पता नहीं चल पाया.

सूत्रों से जानकारी मिली है कि नक्सली आज चिंतागुुुफा से करीब 18 किमी. दूर तुमालपाड़ में जन अदालत लगाया गया है. लेकिन वहां क्या हुआ है इसकी जानकारी नहीं है. ज्ञात हो कि नक्सली इससे पहले 2016 में पण्डा की पत्नी मुये और भाई कोमल को ले जाकर मारपीट की.

मेरा परिवार का कोई कसूर नहीं- पण्डा 

पण्डा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि मेरे परिवार का कोई कसूर नहीं है. उनके साथ पहले भी मारपीट हुई है। इस संर्दभ में मेने हैदराबाद के बरबरा राव से चर्चा की थी उन्होने भी आश्वासन दिया था कि शाम तक छोड़ दिया जाएगा. लेकिन अभी तक नहीं छोड़ा गया. अब चिंता होने लगी है मेरे परिवार और गांव वालो का कोई कसूर नहीं है. मिडिया के माध्यम से नक्सलियों से अपील करता हूं कि उन्हे छोड़ दे.

उन लोगों से पुलिस का कोई संर्पक नहीं था – एसपी 

पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने चर्चा करते हुए बताया कि उन आठ लोगो का पुलिस से कोई संर्पक नहीं था। दरअसल पुलिस लगातार ग्रामीणों से संर्पक कर उन्हे मुख्यधारा से जोड़ रही है यही वजह है कि नक्सली अब ऐसी हरकते कर रहे है. इस कृत्य से नक्सलियों का दोहरा चेहरा सामने आया है. एक तरफ नक्सली जनता के हक के लिए लड़ने का झूठा प्रचार कर करते है. महिला अधिकारों, महिलाओं के सम्मान की बात करते है. वही रात में आकर घरों से जबरन ग्रामीणों और महिलाओं को जबरन ले गए है. ये नक्सलियों का दोहरा चेहरा का उजागर हुआ है. नक्सल संगठन को छोड़ कर शांतिपूर्वक जीवन यापन करने वाले पोड़ियामी पण्डा के परिजन भी शामिल है. नक्सली उन लोगो को छोड़ दे उनका पुलिस से कोई संर्पक नहीं है.