नवरात्रि के महापर्व पर चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है. कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है, जिसके भीतर बड़ी संख्या में बीज पाए जाते हैं, जिसके माध्यम से कई कुम्हड़ों को पैदा करने की शक्ति निहित होती है. मान्यता है कि मां कुष्मांडा में भी इसी प्रकार पूरे ब्रह्मांड में जीवन शक्ति का संचार करती हैं. शेर की सवारी करने वाली मां कुष्मांडा ने अपने आठ भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल को धारण कर रखा है.

मान्यता है कि नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा करने पर साधक के सभी रोग, शोक और भय दूर होते हैं और उसे देवी की अनंत कृपा और मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. आइए मां कुष्मांडा की पूजा विधि एवं धार्मिक महत्व जानते हैं.

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान करने के बाद मां कुष्मांडा के चित्र को किसी चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर लाल चंदन का तिलक, धूप, दीप, गंध, लाल रंग के पुष्प, लाल फल चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा करें. इसके बाद मां मालपुए का विशेष रूप से भोग लगाएं.

मां कुष्मांडा की पूजा का धार्मिक उपाय

मान्यता है कि मां कुष्मांडा को हरा रंग बहुत प्रिय है. ऐसे में माता का आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के चौथे दिन हरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें और माता को श्रृंगार की सामग्री में हरे रंग की चूड़ी और वस्त्र अवश्य चढ़ाएं. मान्यता है कि मां कुष्मांडा को यदि पेठे से बनी मिठाई चढ़ाई जाए तो वो शीघ्र ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देती हैं.

मां कुष्मांडा की पूजा का ज्येातिष उपाय

नवरात्रि के 09 दिनों में 09 देवियों के लिए की जाने वाली पूजा न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बहुत मायने रखती है. ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा का संबंध केतु ग्रह से होता है. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में केतु कष्टों का बड़ा कारण बन रहा हो तो आपको आज देवी कुष्मांडा की विशेष रूप से पूजा और उनके मंत्र का जप करना चाहिए.

मां कुष्मांडा की पूजा का मंत्र

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नम:’ मन्त्र का जप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें.