गरियाबंद. गरियाबंद में एक तरफ राज्यपाल और प्रशासन सुपेबेड़ा मामले के निरीक्षण में व्यस्त था. दूसरी तरफ गरियाबंद के कंपार्टमेंट नंबर 1289 में जंगल में कब्जा करने की कोशिशों में जुटे ओडिशा के लोग अवैध तरीके से मक्के की खेती की कटाई करने 132 मज़दूरो के साथ आ धमके थे. ये लोग खेत में लगे सारे मक्के तोड़ने आए थे. लेकिन वन विभाग की टीम ने इन्हें रोक दिया.इस मामले में वन विभाग के एक निलंबित रेंजर और जनप्रतिनिधि की मिलीभगत बताई जा रही है.

बताया जाता है कि आरोपियों को इस बात की जानकारी थी कि राज्यपाल के कार्यक्रम में जिला, पुलिस और वन विभाग का अमला व्यस्त रहेगा. लिहाज़ा इस बात का फायदा उठाते हुए मक्के ले जाने की योजना बनाई. लेकिन वन विभाग के पास पहुंची सूचना ने इनका भांडा फोड़ दिया.

दरअसल, 1289 में कुछ समय पहले पाया गया था कि घने जंगलों में पिछले कुछ सालों से ओडिशा और देवबंद के लोग जंगल साफ करके खेती कर रहे हैं. यहां करीब 150 एकड़ जंगल इन लोगों ने साफ कर दिये थे. ़

जब ये कार्रवाई हुई तो जिन जंगलों को साफ करके खेत बनाए गए थे. वहां मक्के बोए हुए थे. इन्हें वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लेते हुए कार्रवाई की. लेकिन अब इस आरोपी मक्के की फसल काटने बार-बार जंगल में अतिक्रमण कर रहे हैं.

इतवार को इन लोगों के पास से करीब 9 क्विंटंल मक्के वन विभाग ने जब्त किए थे. वन विभाग को आज सुबह ये सूचना मिली कि टैक्ट्रर और भाड़े के मज़दूर लेकर आरोपी फिर से वहां पहुंचे हैं तो वन विभाग की टीम ने इसे रुकवाया.

हालांकि जिस टीम को डीएफओ ने पहले भेजा था, उसने वहां मक्के काटने की खबर को झूठा बताकर अधिकारियों को बरगलाने की कोशिश की. लेकिन बाद में दूसरी टीम भेजी तो कार्रवाई हुई.