सरकार ने समय पर सूचना नहीं दी, अब विकल्प भी वही सुझाए: कांग्रेस
रमन सरकार उतरवायें अपने सारे फ़्लेक्स और उदाहरण पेश करे: कांग्रेस

 रायपुर। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के उस फैसले पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है जिसमें सरकार ने एनजीटी के एक आदेश का हवाला देते हुए कल रात से प्लास्टिक से बने सामान और फ़्लेक्स पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार के इस फ़ैसले से राज्य में एक झटके में अरबों का निवेश डूब गया है और लाखों लोग बेरोज़गार हो गए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि एनजीटी के जिस आदेश का हवाला दिया गया है वह कई महीनों पुराना है और सरकार ने जानबूझकर इसके बारे में लघु उद्योगों और कारोबारियों को कोई सूचना नहीं दी।

कांग्रेस मीडिया विभाग के सचिव सुशील आनंद शुक्ला ने एक बयान जारी करके कहा है कि सरकार के इस आदेश से न केवल निवेश डूबेगा और रोज़गार की समस्या पैदा होगी बल्कि छोटे राजनीतिक दलों और संगठनों के प्रचार-प्रसार पर बड़ा असर पड़ेगा। ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जानबूझकर ऐसा आदेश जारी किया है और ऐसे समय में जारी किया है जब इसकी वैकल्पिक तैयारी न हो सके। कांग्रेस ने कहा है कि यदि अपने आदेश को लेकर गंभीर है तो उसे सबसे पहले बोनस तिहार सहित अपने प्रचार वाले सारे फ़्लेक्स उतारवाकर उदाहरण पेश करना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि प्रदेश भर में इस समय कम से कम 500 फ़्लेक्स मशीनें हैं और इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से एक लाख से अधिक लोग रोज़गार पाते हैं। इन मशीनों और कच्चे माल पर दो अरब से ज़्यादा का निवेश है। ज़्यादातर कारोबारियों ने बैंक से कर्ज़ आदि लेकर काम शुरु किया है और इस आदेश से उनका पूरा निवेश डूब गया है। इसी तरह प्लास्टिक के सामान, गिलास, प्लेट, दोना और चम्मच आदि बनाने वाले लघु उद्योगों में भी अरबों का निवेश डूब जाएगा। इस उद्योग से जुड़े लाखों कारोबारी का भी दिवालिया निकल जाएगा।

कांग्रेस ने कहा है कि अध्यादेश को देखने से पता चलता है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने जनवरी, 2017 में प्रतिबंध के आदेश दिए थे और यदि सरकार ने उसी समय उद्योगपतियों और कारोबारियों को सूचना दे दी होती तो नौ महीनों में वे वैकल्पिक व्यवस्था कर लेते, लेकिन सरकार जनता के बारे में सोचना ही नहीं चाहती।

अध्यादेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यदि फ़्लेक्स और प्लास्टिक के सामान पर रोक लगाई जा रही है तो फिर इसका विकल्प क्या है? कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार को अपने अध्यादेश को और स्पष्ट करना चाहिए और कारोबारियों को बताना चाहिए कि उनके सामने क्या विकल्प हैं? रमन सरकार को यह भी बताना चाहिए कि जो लोग बेरोज़गार होने जा रहे हैं उनके लिए वैकल्पिक रोज़गार क्या होगा?

सरकार एनजीटी के आदेशों पर तो खुद अमल नहीं करती। उदाहरण के तौर पर एनजीटी का आदेश है कि सड़क निर्माण में मिट्टी की जगह फ़्लाई-ऐश का प्रयोग किया जाए, लेकिन हर सड़क निर्माण में इस आदेश का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। मेडिसिनल पेड़ों को न काटे जाने के आदेश पर भी सरकार अमल नहीं कर रही है और निर्माण कार्यों के लिए बेरहमी से ये पेड़ काटे जा रहे हैं। इसी तरह गुटखे पर प्रतिबंध है लेकिन छत्तीसगढ़ में हर जगह गुटखा खुले आम बिक रहा है और इसमें करोड़ों की घूसखोरी हो रही है। लेकिन वह कारोबारियों से उम्मीद करेगी कि वे प्रतिबंध का पालन करें.