जशपुर। खाद्य मंत्री एवं जशपुर जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जशपुर जिला खनिज संस्थान न्यास की शासी परिषद की बैठक में 48 करोड़ की कार्ययोजना का अनुमोदन किया गया. डीएमएफ के फंड से जिले में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाने के साथ ही स्वावलंबन की गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने के कार्य प्राथमिकता से कराए जाएगें. प्रभारी मंत्री ने इस मद से जिले के सभी स्कूलों एवं आश्रम व छात्रावासों में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित एवं हाथी प्रभावित लोगों तथा उच्च शिक्षा के लिए गरीब परिवार के युवाओं को आवश्यक मदद दिए जाने के लिए भी राशि का प्रावधान किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अति आवश्यक होने पर अनुमोदनोपरांत नए कार्य भी इस कार्य योजना में शामिल किए जा सकेंगे.

बैठक में प्रभारी मंत्री ने डीएमएफ मद से शासन के गाईडलाईन के आधार पर ही कार्य होंगे। उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और उन्हें रोजगार से जोड़ने के कामों को प्रमुखता दी जाएगी। बैठक में कलेक्टर श्री निलेशकुमार महादे क्षीरसागर ने डीएमएफ की कार्ययोजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा अनुशंसित कार्याें को भी इसमें शामिल किया गया है। इस मद से अतिआवश्यक एवं गैप फिलिंग के कार्याें के लिए भी राशि प्रावधानित की गई है। उन्होंने बताया कि जिले में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने तथा उससे संबंधित अद्योसंरचना विकास के लिए कुल 8.14 करोड़, स्वास्थ्य के लिए 9.7 करोड़, महिला एवं बच्चों के बेहतरी के लिए 6.95 करोड़, पेयजल के लिए 4.05 करोड़, वृद्ध एवं निःशक्तजनों के लिए 12.13 लाख, खेल एवं युवा कल्याण के लिए 95 लाख, विद्युतीकरण के लिए 93.37 लाख, कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 10.33 करोड़, कौशल विकास व स्वरोजगार के लिए 1.09 करोड़, जनकल्याण एवं अन्य गतिविधियों के लिए 2.27 करोड़ रुपए का प्रावधान कार्य योजना में किया गया है।

मंत्री अमरजीत भगत ने जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जशपुर जिले की सीमाएं उड़ीसा और झारखंड से लगती हैं. इसको ध्यान में रखते हुए यह उपाए किया जाना जरूरी है कि इन दोनों राज्यों से जिले में धान न आने पाए. उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में निगरानी की चैकस व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही. प्रभारी मंत्री ने बैठक में आगे कहा कि धान उपार्जन के दौरान कोचिए और बिचोलियों पर भी कड़ी निगरानी जरूरी है ताकि वह अनाधिकृत रूप से धान ने बेचने पाए। धान के कोचियों और बिचैलियों की जांच पड़ताल के लिए संचालित अभियान के दौरान इस बात का ध्यान रखने को कहा कि इससे जिले के किसानों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मंडी शुल्क की वसूली होनी चाहिए। प्रभारी मंत्री ने कहा कि नियमानुसार राईस मिलर्स के यहां धान के भण्डारण का भौतिक सत्यापन किया जाना चाहिए.