मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग जैसे-जैसे जोर पकड़ती जा रही है, उसका असर भी देखने को मिल रहा है. सत्ताधारी शिंदे सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री छगन भुजबल ने मराठों को आरक्षण दिए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा देने का एलान किया. हालांकि, उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. इसे भी पढ़ें : पॉवर सेंटर : ‘पानी-तेल’..’अंगद का पांव’..’राहुल की एंट्री’..’लौट रहे अमरेश’..’एक अफसर और’…’जुबानी जंग’..- आशीष तिवारी

महाराष्ट्र के वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने शनिवार को इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने मराठों को ओबीसी वर्ग से आरक्षण देने के विरोध में 16 नवंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, उसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. वहीं इस बात की जानकारी अब तक नहीं दिए जाने पर भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें इस मामले पर चुप रहने के लिए कहा था.

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अहमदनगर में एक ओबीसी रैली को संबोधित करते हुए भुजबल ने कहा कि मैं इस पर (इस्तीफा) चुप रहा, लेकिन कुछ लोग अब ओबीसी के पक्ष में बोलने के लिए भुजबल को कैबिनेट से बाहर करने की मांग कर रहे हैं. मैं अपनी आखिरी सांस तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा. भुजबल का इशारा शिवसेना के बुलढाणा विधायक संजय गायकवाड़ की ओर था, जिन्होंने भुजबल के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मंत्री पद से उनका इस्तीफा मांगा था.

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महाराष्ट्र की शिंदे सरकार द्वारा 27 जनवरी को कुनबी पृष्ठभूमि वाले मराठा समुदाय के सदस्यों के रक्त संबंधियों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की अधिसूचना जारी करने के बाद ओबीसी समाज की यह पहली सार्वजनिक रैली थी. भुजबल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री भुजबल के इस्तीफे पर टिप्पणी करने में अधिक सक्षम होंगे. इस समय मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि सीएम ने अब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है.

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