रोहित कश्यप, लोरमी। छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा के लिए निर्वाचन आयोग की कवायद शुरू हो चुकी है. सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ विपक्ष में शामिल भाजपा, जनता कांग्रेस और अन्य दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं. ऐसे में बीते चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचे विधायकों के प्रदर्शन को लेकर उनके दल चर्चा कर रहे हैं, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम जनता के बीच जाकर उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के कामकाज का आंकलन कर रहा है. इस कड़ी में हम लोरमी विधानसभा पहुंचे हैं.

विधानसभा का इतिहास

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 26 लोरमी अनारक्षित सीट है. लोरमी विधानसभा क्षेत्र में एक नगर पंचायत लोरमी और 148 ग्राम पंचायत, जिसमे 38 वनग्राम शामिल हैं. लोरमी विधानसभा में वर्तमान (2023) स्थिति में कुल मतदाताओं की संख्या 214034 है, जिसमें से 1,09,053 पुरुष और 1,04,975 महिला व 6 अन्य मतदाता हैं. भौगोलिक दृष्टि से लोरमी विधानसभा सीट काफी वृहद है. विधानसभा की पहचान प्रमुख रूप से राजीव गांधी खुड़िया जलाशय, अचानकमार टाइगर रिजर्व, लोरमी का प्राचीन महामाया मंदिर, मनियारी नदी से है. जंगल और पहाड़ों से घिरा लोरमी कुदरती तौर पर काफी समृद्ध है.

लोरमी विधानसभा में सबसे ज्यादा सतनामी समाज के वोटर हैं, तो दूसरे पायदान पर साहू और तीसरे पायदान पर अनुसूचित जनजाति के मतदाता और अन्य़ में कुर्मी, ब्राम्हण व ठाकुर सहित कुल मिलाकर अन्य समाज के मतदाता हैं. आंकड़ों की बात करें तो 30 फीसदी अनुसूचित जाति, 20 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति मतदाता हैं. 35 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 15 फीसदी सामान्य व अन्य वर्ग के मतदाता हैं. इस लिहाज से लोरमी विधानसभा का भाग्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग से जुड़े समाज के लोग तय करते हैं.

मोदी लहर और कांग्रेस की आंधी को किया पार

लोरमी विधानसभा सीट पर अब तक हुए 14 चुनाव में 8 बार कांग्रेस, 3 बार राम राज्य परिषद, 4 बार बीजेपी और एक बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने जीत हासिल की है. लोरमी विधानसभा से प्रदेश के कई दिग्गज नेता चुनकर गए हैं, जिसमें मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और वर्तमान विधायक धर्मजीत सिंह यहां से कई दफा चुनाव जीत चुके हैं.

2018 विधानसभा चुनाव में लोरमी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस व जेसीसीजे के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. यहाँ मोदी लहर और कांग्रेस की आंधी का भी कोई असर नही हुआ. आलम ये रहा कि इस चुनाव में भाजपा के तोखन साहू व कांग्रेस के सोनू चंद्राकर को पछाड़कर जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़कर धर्मजीत सिंह जीत का झंडा गाड़ने में कामयाम रहे. चुनाव में जोगी कांग्रेस प्रत्याशी धर्मजीत सिंह ने 67742 व भाजपा के तोखन साहू ने 42189 वोट हासिल किए थे. इस तरह से धर्मजीत सिंह ने 25553 वोट से जीत हासिल की थी.

लोरमी विधानसभा से तीन बार जीत हासिल कर चुके धर्मजीत सिंह की गिनती सुलझे और राजनीति के मंझे राजनेता के तौर पर होती है. बीते चुनाव में भले ही धर्मजीत सिंह जोगी कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल किए थे, लेकिन कालांतर में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. वर्तमान में धर्मजीत सिंह स्वतंत्र विधायक के रूप में है.

विधायक के दावे

विधायक धर्मजीत सिंह का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण जन हितैषी कार्य कराए है, जिनमें खुड़िया जलाशय में 130 करोड़ रुपए की लागत से नहर लाइन का काम शामिल है. इससे सिंचाई सुविधा आसान हुई है. इसके अलावा कोतरी में शासकीय कला वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय स्वीकृति करवाया और बिल्डिंग का निर्माण कराया. लोरमी में कॉलेज बिल्डिंग निर्माण, स्वामी आत्मानन्द इंग्लिश मीडियम स्कूल स्वीकृति एवं बिल्डिंग निर्माण, कबीर भवन निर्माण शामिल है. इसके अलावा उनका दावा है कि लालपुर धाम एवं डिंडौरी को तहसील उनके प्रयास से बनाया गया.

विपक्ष का आरोप

कांग्रेस नेत्री लेखनी चंद्राकर एवं बीजेपी नेत्री शीलू साहू ने विधायक के कई दावों को खोखला करार देते हुए कहा कि क्षेत्र की जनता ने विधायक को कई बार लोरमी से अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेजा, लेकिन आज भी क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हुआ है.

बिजली, पानी, सड़क की समस्या

कुछ स्थानीय लोग विधायक के कामकाज से सन्तुष्टि जताते हैं, तो कुछ लोग उनके कामकाज से नाखुश भी हैं. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आज भी पानी, बिजली, सड़क से लेकर शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था यहां की प्रमुख मुद्दे हैं. सुदूर वनांचल क्षेत्र के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं की समस्या गिना रहे हैं, तो वहीं रोजगार के साधन इस क्षेत्र के लोगों को बड़ी चुनौती नजर आती है. विधानसभा में औद्योगिक क्षेत्र नहीं होने की वजह से आम लोगों का जीवन कृषि पर आश्रित होकर रह गया है. इसके अलावा यहां विस्थापन की सबसे बड़ी समस्या है. विस्थापन के लिए चिन्हित कुछ गांव के लोग अधर में लटकी प्रकिया की आगे बढ़ने की बाट जोह रहे थे, तो वहीं कुछ विस्थापित हो चुके गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं का अभाव बता रहे हैं.