राज ठाकरे (Raj Thackeray) महाराष्ट्र की राजनीति में अपना असर खो चुके हैं. कभी धूमकेतु की तरह चमके राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का 2019 के चुनावों में भी बुरा हाल है. 2014 के चुनावों में मनसे का एक विधायक था, इन चुनावों में भी उसे एक ही सीट पर बढ़त मिलती दिख रही है. अगर ऐसा होता है तो मनसे के लिए एक बड़ा झटका होगा.
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है. 288 महाराष्ट्र विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को चुनाव लड़ा गया, जिसमें भाजपा-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बीच मुकाबला है. इनके सबसे अगल MNS (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) भी अपनी किसमत आजमा रही है. लेकिन, शुरुआती रुझानों में राज ठाकरे की की पार्टी MNS की स्थिति बेहद ही खराब दिख रही है.
सुबह 11:20 बजे तक महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीटों पर आए रुझानों में MNS को सिर्फ एक ही सीट पर बढ़ मिलती दिख रही थी. पार्टी ने ऐसी उम्मीद तो किसी भी स्थिति में नहीं की होगी लेकिन शुरुआती रुझानों में MNS पूरी तरह से बैकफुट पर दिख रही है.
कभी बालासाहब के विकल्प माने जाते थे राज
महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में कभी बालासाहब ठाकरे (Balasahab Thackeray) का विकल्प माने जाने वाले राज ठाकरे (Raj Thackeray) का जादू अब फीका पड़ गया है. पहले 2014 के चुनाव और अब 2019 के विधानसभा चुनावों (Assembly election) के परिणाम ये संकेत दे रहे हैं कि राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में अपना असर खो चुके हैं.
राज ठाकरे का उदय
जब बाल ठाकरे ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में राज ठाकरे की बजाए उद्धव को चुना तो उन्होंने शिवसेना से अपने रास्ते अलग कर लिए. इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया. 2008 तक आते आते महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का कद इतना बढ़ गया था कि उन्होंने उस मुंबई को थाम दिया था, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह शहर कभी रुकता नहीं है. 2008 में बालासाहब ठाकरे की स्टाइल में राज ठाकरे और उनकी पार्टी के वर्करों ने मुंबई की रफ्तार को रोक दिया था. इस बंद के दौरान स्कूलों की छुट्टी कर दी गई, परीक्षा रद्द कर दी गई, बसों में आग लगा दी गई और भी हिंसा की घटनाएं हुईं.