रायपुर। पीएम नरेन्द्र मोदी ने लगातार गलत बयानी कर प्रधानमंत्री पद की मर्यादा को तार-तार कर दिया है. प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि मोदी और कितना झूठ बोलेंगे? देश के इस सर्वोच्च पद पर रहे किसी भी दल के व्यक्ति ने कभी भी प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिरने नहीं दिया. इस देश में अल्प समय के लिये अल्प बहुमत वाले प्रधानमंत्री भी हुए, लेकिन सभी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा और दायित्वों के महत्व को समझा था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में आपत्तिजनक और गलत बयानी करके नरेन्द्र मोदी ने यह साबित कर दिया सत्ता हाथ से फिसलती देख कर उन्होंने अपना संतुलन खो दिया है.

नरेन्द्र मोदी लगातार भारत रत्न राजीव गांधी के बारे में अनर्गल प्रलाप कर रहे है. वे राजीव गांधी के बारे में सार्वजनिक दुष्प्रचार कर रहे है कि उन्होंने निजी छुट्टी बिताने के लिए विमान वाहक पोत आईएनएस विराट का उपयोग किया था, जो कि सरासर झूठ है. मोदी के इस बयान के बाद रिटायर्ड एडमिरल एल रामदास और वाईस एडमिरल विनोद पसचीरा, आईएनएस विध्यगिरी के तब के कमांडिंग ऑफिसर एडमिरल अरूण प्रकाश और आईएनएस गंगा के तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर वइस एडमिरल मदनजीत ने स्पष्ट कर दिया है कि स्व. राजीव गांधी की यात्रा अधिकृत आफिशियल ट्रिप थी, जिसे मोदी छुट्टी कह कर दुष्प्रचारित कर रहे है. उनके साथ कोई भी विदेशी मेहमान नहीं था. उनके निजी इस्तेमाल के लिये आईएनएस विराट या कोई भी पानी का जहाज इस्तेमाल नहीं किया गया.

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि अपने पांच साल के कार्यकाल की विफलताओं को छुपाने के लिये मोदी और उनकी रक्षामंत्री गलत बयानी कर रहे है. इसके पहले भी बोफोर्स मामले में भी नरेन्द्र मोदी ने दुष्प्रचार की नीयत से गलत बयानी किया था. स्व. राजीव गांधी की हत्या के 38 साल बाद बोफोर्स मामले में पूर्व प्रधानमंत्री के संदर्भ में प्रलाप करके मोदी ने अपनी सुनिश्चित हार की बौखलाहट को उजागर किया है. दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने बोफोर्स मामले में राजीव गांधी की किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इंकार किया था, भाजपा की अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने बोफोर्स की चार्जशीट से राजीव गांधी का नाम हटा कर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया था.

स्वयं नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 2014 में बदनीयती के उद्देश्य से जांच की समय सीमा को बढ़ा कर बोफोर्स मामले की जांच शुरू की. लेकिन 2018 में उस पर भी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ गया. मोदी सरकार को इतने निम्नतम स्तर पर गिरकर भी कुछ नहीं मिला. इन सबके बावजूद यदि देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठा व्यक्ति लगातार गलत बयानी कर रहा है तो उस व्यक्ति की नीयत और मानसिक स्थिति पर सवाल तो उठेंगे. देश की जनता मोदी के इस आचरण को देख रही है और समझ रही है। मोदी को जनता का जवाब 23 मई को मिलेगा.