रवि रायकवार, दतिया। विश्व प्रसिद्ध सिंगर मोहम्मद रफी सहाब की पुण्यतिथि के अवसर ‘रफी नाइट’ का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश के दतिया में स्थानीय कलाकारों ने प्रस्तुति दी। रफी साहब के गानों पर कलाकारों ने शमा बांधा।

भारतीय संगीत के स्वर्ण युग में अगर किसी ने करोड़ों दिलों को छुआ तो वो थी मोहम्मद रफी की आवाज। जिनके गाए नगमे आज भी लोगों की जुबान पर हैं। लेकिन 31 जुलाई 1980 को यह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। मोहम्मद रफी की कल 45वीं पुण्यतिथि थी। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में ‘रफी नाइट’ का आयोजन किया गया।

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दतिया के रतन वाटिका में 31 जुलाई की रात ‘रफी नाइट’ कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी। तुम मुझे यूं भुला न पाओगे जब भी सुनो के गीत मेरे संग संग तुम भी गुनाओगे, लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में, तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है और भी कई सुपरहिट गानों से समा बांधा।

देर रात तक यह कार्यक्रम चला, जिसमें एक से बढ़कर एक कलाकारों ने रफी साहब के गाने गाए। वहीं मीडिया से चर्चा करते हुए स्थानीय कलाकारों ने कहा कि ऐसे आयोजन हर साल करते हैं और नए कलाकारों को इस मंच पर मौका देते है, जिससे उनकी प्रतिभा निकलकर सामने आए।

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