नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा है कि यहां हर पांच साल में सरकार बदलने की संभावनाएं हैं ऐसे में सामाजिक संगठनों को मदद के लिए इन पर निर्भर नहीं होना चाहिए. महामहोपाध्याय वीवी मिराशी की 125 वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक और रिसर्च संगठनों को समाज के कल्याण के लिए एक मजबूत और स्रोत की दिशा में काम करना चाहिए.

मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग सरकार से बात करना चाहतें हैं, उन्हें इसके लिए संपर्क करना चाहिए लेकिन मुझे नहीं लगता है कि सामाजिक संगठनों की सरकार पर निर्भर होना चाहिए. क्योंकि सरकारें बदलती रहती हैं. मोहन भागवत ने कहा कि पहले राजवती सरकारें 30 से 50 साल में बदलती थी. अब यह सम्भावना है कि हर 5 साल में सरकार बदल जाए. ऐसे में कोई भरोसा नहीं है, जब तक है, तब तक उसका उपयोग करें.

इस दौरान मोहन भागवत ने लोगों के कल्याण के लिए रिसर्च और शिक्षा के महत्व पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ज्ञान प्राप्त करने के लिए विभिन्न उद्देश्य हो सकते हैं. ज्ञान प्राप्त करना स्वयं के हित के लिए या फिर समाज कल्याण के लिए भी हो सकता है. ज्ञान शाश्वत जीवन का मार्ग है. वास्तव में ज्ञान अनंत काल के लिए हैं. भागवत ने कहा कि अंग्रेजों ने आधुनिक भारत के लिए बहुत रिसर्च किया.

देश की जनसंख्या की जनगणना और भूगोल अभी भी उनके रिसर्च के आधार पर चलता है. लेकिन हम उनके कार्य को संशोधन महर्षि नहीं कह सकते हैं क्योंकि वे लालची थे और लोगों का भला नहीं चाहते थे. हालांकि मोहन भागवत के इस बयान लोग अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं क्योंकि चुनावी मौसम हैं और ऐसे में भागवत के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहा है.