न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। मां नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ.मोहन भागवत ने साधू ,संतों, समाजसेवियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मजबूत भारत निर्माण के लिए अनुशासित, चरित्रवान, संस्कारित समाज निर्माण की जरुरत है। जिसके लिए साधू-संतों को आश्रमों से बाहर निकल कर आगे आना होगा। छत्रपति वीर शिवाजी की तरह सख्त अनुशासन, संस्कारित जीवन और चरित्रबल के बूते विकसित मजबूत भारत का निर्माण होगा।
मोहन भागवत ने कहा कि महाराज शिवाजी से प्रेरणा लेने की जरुरत है। जिनके संस्कार और चरित्र की दुश्मन भी तारीफ करते थे। इनके जैसा चरित्रवान बनने की आवश्यकता है। संतो के प्रवचन से चरित्र एवं संस्कार के माध्यम से समाज सुधार करवाने में बहुत मदद मिलेगी। हिन्दू समाज के व्यक्तियों को स्वयं को संस्कारित करने की आवश्यकता है। व्यक्ति स्वयं सुधर जाए तो समाज अपने आप विकसित हो जाएगा। देश मे हिन्दू जागरण का अच्छा माहौल है, लेकिन युवा पीढ़ी को शिवा जी के चरित्र निर्माण की शिक्षा लेने की जरुरत है। दूसरों को उपदेश देने से पहले अपने आचरण में सुधार की आवश्यकता है।
पूजा स्थल कानून 1991 खत्म करने की मांग
अमरकंटक के पर्यावरण को लेकर उन्होंने कहा कि अपने से हमें स्वयं भी वृक्षारोपण करना चाहिए। इससे अमरकंटक को हरा भरा रखने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद ने सरसंघचालक को पत्र सौंप कर तीन मांगो का पत्र सौंपा, जिसमे कहा गया हैं पूजा स्थल कानून 1991 खत्म करने, मुस्लिम वक्फ बोर्ड खत्म करने एवं नर्मदा लोक का निर्माण अमरकंटक में कराने की बात कहीं। इसके साथ ही अमरकंटक के संत समाज ने जगदीशानंदजी महाराज के माध्यम से भी आश्रमों की लीज बढाने के विषय में एक पत्र सौंपा गया।
स्वामी हरिहरानंद सरस्वती से की सौजन्य भेंट
सुबह मृत्युंजय आश्रम में चल रहे विशेष धार्मिक अनुष्ठान मे वह शामिल हुए। प्रमुख संतों, प्रचारकों के साथ उन्होंने यहां हवन और आरती में हिस्सा लिया। स्वामी एकरसानंद आश्रम के प्रमुख परमपूज्य संत स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज के साथ डॉ. भागवत और भैया जी ने सौजन्य भेंट की। यहां अतिथि द्वय को महाराज जी ने आश्रम परिवार की ओर से साल,श्रीफल और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। लगभग एक घंटे तक यहां त्रिमूर्तियों के मध्य विविध महत्वपूर्ण विषयों पर आन्तरिक चर्चा होती रही। स्वामी हरिहरानंद ने सभी आश्रमवासियों सहित मोहन भागवत का आभार प्रदर्शन करते हुए वक्फ बोर्ड को दी गई शक्तियों को समाप्त करने हेतु निवेदन किया।
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संघ के पदाधिकारियों की ली बैठक
आन्तरिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के अमरकंटक आगमन से पूर्व ही यहां संघ की दृष्टि से विशेष आन्तरिक तैयारियां की गई थीं। संघ के क्षेत्र, प्रांत,विभाग, जिले के चुनिंदा पदाधिकारियों को छोड़कर किसी को भी यहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। संघ के सामान्य समर्पित स्वयंसेवकों, भाजपा नेताओं को यहां आने की अनुमति नहीं दी गई थी। मोहन भागवत के अमरकंटक पहुंचने की सूचना चौबीस घंटे पहले ही सार्वजनिक की गई थी। रविवार की दोपहर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों को डां.भागवत ने विविध विषयों पर संबोधित किया।
साधू-संतों ने दिए नर्मदा संरक्षण को लेकर सुझाव
इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे प्रमुख संतो महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती महाराज, मृत्युंजय आश्रम,श्रीमहंत स्वामी राम भूषण दास महाराज, शांति कुटी,आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णानंद महाराज, मार्कण्डेय आश्रम स्वामी जगदीशानंद, स्वामी धर्मानंद महाराज, कल्याण सेवा आश्रम, स्वामी लवलीन महाराज, धारकुंडी आश्रम, स्वामी नर्मदानंद जी महाराज, गीता स्वाध्याय मंदिर,जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य, फलाहारी आश्रम, श्रीयंत्र मन्दिर से हरि चैतन्य पुरी, गोपाल आश्रम से हनुमानदास महाराज, अरंडी संगम आश्रम से समाज सेवी त्रिभुवेन्द्र कुमार दास, माई की बगिया से स्वामी शुद्धात्मानंद जी, नर्मदानंद गीता आश्रम, सोमेश्वर गिरी सोनमुडा के साथ अन्य साधू ,संतगणों ने अमरकंटक, नर्मदा संरक्षण पर अपने विचार रखते हुए सुझाव दिए।
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