रायपुर. प्रदेश के नगर निगम क्षेत्रों में संचालित की जा रही मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना की सफलता को देखते हुए इस योजना का विस्तार अब नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में किया जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस योजना के विस्तारित स्वरूप का शुभारंभ 31 मार्च 2022 को करेंगे.

मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना विस्तारित स्वरूप में राज्य के 43 नगर पालिका परिषदों और 111 नगर पंचायतों लागू हो जाएगी. इससे प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में लोगों को उनके घरों के नजदीक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएगी. नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली गई है. विभाग द्वारा नगर पालिका और नगर पंचायतों को क्लस्टर में विभाजित कर 60 मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाएगी.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में नागरिकों को उनके घर के नजदीक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना का शुभारंभ राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 01 नवंबर 2020 को किया गया था. प्रथम चरण में सभी 14 नगर निगमों में 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट एंबुलेंस के जरिए नगर निगम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही है.

नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने बताया कि योजना के तहत आम नागरिकों को मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा मेडिकल कैंप के माध्यम से परामर्श, उपचार, दवाईयां और पैथोलॉजी परीक्षण की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जा रही है. मोबाईल मेडिकल यूनिट के जरिए प्रदेश के 14 नगर निगमों के लगभग 900 स्लम क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों के लिए अब तक कुल 23884 शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 1703306 मरीजों का इलाज किया जा चुका है. 1406821 मरीजों को दवा वितरण और 326619 मरीजों का लैब टेस्ट हुआ है

मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत महिलाओं को चौखट पर ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और दाई-दीदी क्लीनिक प्रारंभ की गई है. दाई-दीदी क्लीनिक का शुभारंभ 19 नवंबर 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की जयंती पर किया गया था. दाई-दीदी क्लीनिक में महिला चिकित्सक और महिला पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा महिलाओं को इलाज की सुविधा मिल रही है. यह योजना महिलाओं और किशोरी बालिकाओं के मध्य बहुत लोकप्रिय है. दाई दीदी क्लीनिक योजना के तहत कुल 1182 कैंप आयोजित किए गए हैं, जिनमें 89796 महिला मरीजों का इलाज किया गया है. 86129 महिलाओं को दवा का वितरण किया गया है. 16114 मरीजों का लैब टेस्ट किया गया है.

मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना में गांवों व दूरस्थ अंचलों के 25 लाख से अधिक लोगों का निःशुल्क इलाज

राज्य शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना के माध्यम से अब तक गांवों व दूरस्थ अंचलों के 25 लाख से अधिक लोगों का निःशुल्क इलाज किया गया है. योजना के तहत हाट-बाजारों में लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों में ओ.पी.डी. आधारित आठ प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ही मलेरिया, डेंगू, एचआईव्ही, मधुमेह, एनीमिया, टीबी, कुष्ठ, उच्च रक्तचाप और नेत्र विकारों की जांच की जाती है. इन शिविरों में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की भी जांच की जाती है. जांच के बाद व्याधिग्रस्त पाए गए लोगों को निःशुल्क दवाईयां भी दी जाती हैं. आवश्यकता होने पर उच्च स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों में रिफर कर इलाज कराया जाता है.

मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत प्रदेश भर में 397 डेडिकेटेड ब्राडिंग वाहन और चिकित्सा दलों के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में उपचार मुहैया कराया जा रहा है. वनांचलों और दूरस्थ क्षेत्रों के हाट-बाजारों में स्वास्थ्य विभाग की मेडिकल टीमों द्वारा अब तक 25 लाख 3 हजार 046 लोगों को इलाज उपलब्ध कराया गया है. हाट-बाजारों की क्लिनिक में पहुंचे 22 लाख 81 हजार 354 मरीजों की जांच कर निःशुल्क दवाईयां दी गई हैं. प्रदेश के 1636 हाट-बाजारों में 71 हजार 640 हाट-बाजार क्लिनिक के माध्यम से लोगों को ये सुविधाएं प्रदान की गई हैं.

हाट-बाजारों की क्लिनिक में जरूरतमंदों को निःशुल्क उपचार, चिकित्सीय परामर्श और दवाईयां उपलब्ध कराने के साथ ही मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा मलेरिया, एचआईव्ही, वी.डी.आर.एल., मधुमेह, एनीमिया, टीबी, कुष्ठ रोग, उच्च रक्तचाप और नेत्र विकारों की जांच की जाती है. इन क्लिनिकों में गर्भवती महिलाओं की जांच व शिशुओं का टीकाकरण भी किया जाता है. वर्ष 2019 से शुरू मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना के अंतर्गत अब तक पांच लाख 41 हजार 982 लोगों के उच्च रक्तचाप, 4 लाख 20 हजार 879 लोगों की मधुमेह, 2 लाख 43 हजार 483 लोगों की मलेरिया जांच, 1 लाख 14 हजार 817 लोगों की रक्त-अल्पता (एनीमिया) और 79 हजार 720 लोगों में नेत्र विकारों की जांच की गई है. इन क्लिनिकों में 22 हजार 424 लोगों की टीबी, 7 हजार 017 लोगों की कुष्ठ और 15 हजार 047 लोगों की एचआईव्ही जांच भी की गई है. इस दौरान 43 हजार 535 गर्भवती महिलाओं की भी जांच गई है. हाट-बाजारों में आयोजित क्लिनिकों में 59 हजार 491 डायरिया पीड़ितों का भी उपचार किया गया है.