सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। पढ़ना लिखना अभियान के तहत राज्यव्यापी महापरीक्षा अभियान में प्रदेश के 2 लाख से अधिक प्रौढ़ शिक्षार्थियों ने परीक्षा दी. परीक्षा के दौरान हर परीक्षा केंद्र में अलग ही नजारा था, कहीं महिलाओं अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ, तो कहीं सास-बहू, तो कहीं पिता, पुत्र और पुत्रवधू ने एक साथ परीक्षा दी.

राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के समन्वित पहल से शिक्षार्थी आंकलन के लिए प्रदेश के 28 जिलों के चिन्हांकित 121 विकासखंड और 105 नगरीय निकायों के ग्राम पंचायत एवं वार्ड में महापरीक्षा अभियान का आयोजन किया गया. परीक्षा में प्रदेश के 15 वर्ष से अधिक उम्र समूह के असाक्षर सुविधानुसार निर्धारित समय सुबह 10 से 5 के भीतर परीक्षा में सम्मिलित हुए. शिक्षार्थी को प्रश्न पत्र हल करने के लिए 3 घंटे का समय दिया गया.

महापरीक्षा के पश्चात् बुनियादी साक्षरता परीक्षा की मूल्यांकन रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर सीजी स्कूल डॉट इन पोर्टल में अपलोड़ कराई जाएगी. ताकि शिक्षार्थियों को राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान का प्रमाण पत्र दिया जा सके. राज्य सरकार द्वारा स्वयंसेवी शिक्षकों और शिक्षार्थियों को पृथक से प्रमाण पत्र दिया जाएगा.

पति-पत्नी के साथ बहू भी हुई शामिल

पति-पत्नी का साथ यूं तो जीवन भर का होता है, पर साक्षरता में भी पति-पत्नी ने जीवनभर जैसा साथ निभाया. शिक्षा, साक्षरता के लिए श्याम लाल बंजारे और शिवकुमारी बंजारे ने साक्षरता केन्द्र में साथ-साथ पढ़कर महापरीक्षा में साथ-साथ शमिल हुए. बिलासपुर जिले के विकासखंड मस्तूरी के लिमतरा परीक्षा केन्द्र में पति-पत्नी के साथ उनकी दो बहुओं ने भी परीक्षा दी.

70 वर्ष की उम्र में दी परीक्षा

दुर्ग के ग्राम नंदकट्ठी के रहने वाले 70 वर्षीय कनक यादव की स्वयंसेवी शिक्षक दीपाली निषाद ने पढ़ने के लिए प्रेरित किया. पहले ना-नुकुर के बाद ऐसा उत्साह जागा कि वे साक्षरता केन्द्र में सबसे पहले पहुंच जाते थे. उन्होंने पढ़़ने के साथ-साथ लिखना भी सीख लिया और अब हस्ताक्षर कर लेतें हैं. यही नहीं अपने पुराने अनुभवों को बाकी असाक्षर से साझा करते हैं. परीक्षा में वे पहले आये और पूरे समय तक पेपर को बनाते रहे. वह आज अंगूठा लगाने की जगह हस्ताक्षर कर लेते हैं.