सुशील खरे, रतलाम। शांति का टापू माने जाने वाले मप्र के रतलाम जिले का नाम फिर सुर्खियों में है. यहां रहने वाले तीन आरोपियों को जयपुर में सीरियल ब्लास्ट की साजिश रचे जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से भारी मात्रा में 10 किलो RDX और टाइमर बरामद हुआ है. तीनों आरोपी कट्टरपंथी संगठन सूफा से जुड़े हैं. इन पर रतलाम में हिंदू नेता की हत्या का आरोप है. आरोपी जमानत पर छूटने के बाद जिले से बाहर गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं.
जानकारी के अनुसार राजस्थान पुलिस और एटीएस द्वारा पकड़े गए तीनों आरोपियों ने पूछताछ अपना नाम जुबेर, अल्तमस और सैफुल्ला बताया है. तीनों मध्यप्रदेश के रतलाम के रहने वाले हैं. तीनों ने जयपुर में सीरियल ब्लास्ट की साजिश रची थी. इसके लिए वे निंबाहेड़ा में बम बनाकर ब्लास्ट के लिए दूसरी गैंग को सौंपने वाले थे. हालांकि वे अपनी साजिश को अजाम देने से पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ गए.
एमपी पासिंग के कार से मिला दहलाने का सामान
राजस्थान पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने जयपुर में सीरियल बम ब्लास्ट करने की साजिश रची थी. वे अपनी साजिश को अंजाम दे पाते उससे पहले ही बुधवार को निंबाहेड़ा में नाकाबंदी के दौरान जयपुर और चित्तौड़गढ़ पुलिस ने तीनों आरोपियों को धरदबोचा. आरोपियों की एमपी पासिंग की कार से बम बनाने की सामग्री, टाइमर और 10 किलो आरडीएक्स मिला. प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि तीनों आरोपी जयपुर में तीन जगह बम ब्लास्ट करने के लिए निंबाहेड़ा में बम बनाकर दूसरी गैंग को सौंपने वाले थे. जानकारी मिलते ही उदयपुर और जयपुर की एटीएस टीम भी देर शाम निंबाहेड़ा पहुंच गईं थी. सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि तीनों ही आरोपी आतंकवादी संगठन से जुड़े हो सकते हैं. हालांकि अभी तक आरोपियों ने किसी संगठन का नाम नहीं बताया है, लेकिन ये कट्टरपंथी संगठन सूफा से जुड़े हुए हैं.
2012-13 में रतलाम में सक्रिय हा था सूफा संगठन
बताया जा रहा है कि आरोपी जुबेर और अल्तमस अक्टूबर 2017 में हुए तरुण संखला हत्याकांड के आरोपी हैं. वहीं सर्फुद्दीन उर्फ़ सैफुल्ला सितंबर 2014 में हुए कपिल हत्याकांड का आरोपी है. तीनों आरोपी जमानत पर रिहा होने के बाद से रतलाम से बाहर ही रह रहे थे. सूत्रों की माने तो वर्ष 2012 -13 में कट्टरपंथी संगठन सूफा रतलाम में सक्रिय हुआ था. रतलाम के कई मुस्लिम युवा इस संगठन से जुड़े थे.
सिमी के स्लीपिंग सेल से लेकर जयपुर ब्लास्ट की साजिश तक रतलाम कनेक्शन
रतलाम बेशक मालवा ही नहीं बल्कि मप्र का शांति का टापू कहलाता है, लेकिन कई आतंकी घटनाओं के दौरान रतलाम कनेक्शन सामने आया. पूर्व में रतलाम का नाम सलीम उर्फ सल्लू उर्फ सालार उर्फ डॉक्टर के कारण चर्चा में आया था. इसे लेकर रतलाम लंबे समय तक सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां के रडार पर रहा. इसके बाद गुजरात के गोधरा में हुए साबरमती एक्सप्रेस कांड के तार भी रतलाम से जुड़े थे. घटना में कार सेवा कर लौट रहे लोगों से भरी बोगी पर आग लगा दी गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे.
एटीएस की सिमी के आतंकियों से हुई थी मुठभेड़
3 जून 2011 को रतलाम रेलवे स्टेशन परिसर में एटीएस की सिमी के आतंकियों से मुठभेड़ भी हुई थी. इसमें खंडवा एटीएस के आरक्षक सीताराम यादव की हत्या के आरोप जाकिर और फरहत को रतलाम पुलिस और एटीएस ने पकड़ लिया था. हालांकि इसके बाद प्रदेश सरकार ने सिमी के नेटवर्क को खत्म करने में काफी प्रयास किए थे. करीब दो महीने मामला शांत रहने के बाद ही रतलाम के युवाओं के कट्टरपंथी संगठन सूफा से जुड़ने की जानकारी खुफिया तंत्र को मिली थी. इसके बाद कपिल राठौड़ और तरुण सांखला हत्याकांड में इससे जुड़े सदस्यों के नाम सामने आए थे. सफदर नागोरी की ससुराल रतलाम जिले के ही आलोट में है. इसके अलावा भी आतंक और आतंकी संगठनों से जुड़े कई नामों का रतलाम से जुड़ाव होने की बात बीते कुछ वर्षों में सामने आई है.
स्लीपर सेल की तरह छिपने के लिए पहली पसंद रही रतलाम
दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग से जुड़ा होने के साथ रतलाम की कनेक्टिविटी राजस्थान, गुजरात से भी है. इसके अलावा जावरा सहित पास के जिले नीमच और मंदसौर के अफीम बेल्ट के कारण भी रतलाम आपराधिक और तस्करी संबंधी गतिविधियों से जुड़े लोगों की विशेष पसंद रहा है. स्लीपिंग सेल के रूप में छिपे रहने के लिए ऐसे तत्व रतलाम का ही उपयोग करते रहे हैं. माना जा रहा है कि पकड़े जाने और शक न हो इसलिए ये तत्व रतलाम में कोई भी हरकत नहीं करते. बावजूद कुछ घटनाओं ने उनकी पोल खुल गई और वे ना सिर्फ पकड़े गए बल्कि जेल तक भी पहुंचे.
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