शब्बीर अहमद, भोपाल/सिवनी/जबलपुर। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर विवाद जारी है। इस बीच लल्लूराम डॉट कॉम की पड़ताल में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेज सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। नियमों को ताक पर रखकर इन कॉलेजों को मान्यता दी गई है।

एसके मेमोरियल इंस्टियूट ऑफ मेडिकल साइंस की पड़ताल

सिवनी जिले के एसके मेमोरियल इंस्टियूट ऑफ मेडिकल साइंस की पड़ताल करने पर पाया गया कि इस कॉलेज में 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी उपलब्ध नहीं है। नियम के तहत एक अस्पताल और साढ़े चार सौ बेड होना चाहिए। लेकिन इस कॉलेज के अंदर सिर्फ दो बेड मिले, वो भी जंग लगे हुए। लैब के नाम पर कबाड़ रख दिया गया।

यही हाल जबलपुर में स्थित कोठारी नर्सिंग कॉलेज का भी है। कोठारी नर्सिंग कॉलेज की मान्यता का मामला कोर्ट में लंबित है।इसके बाद भी मान्यता दे दी गई। जबलपुर में 5-6 नर्सिंग कॉलेज ऐसे हैं नियम विरूद्ध खुले हुए हैं। वहीं विदिशा में बीएम नर्सिंग कॉलेज तो सालों से खुला ही नहीं है। कॉलेज में कोई पढ़ने नहीं आता। ना तो कक्ष हैं, ना ही लैब, कॉलेज का बोर्ड तक नहीं है। सीहोर के पितंबरा नर्सिंग कॉलेज भी नियमों का पालन नहीं करता है।

एडवोकेट विशाल बघेल ने जबलपुर हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज की मान्यता को लेकर याचिका लगाई है। याचिका में सभी नर्सिंग कॉलेजों से मान्यता के दस्तावेज मंगवाने की अपील की है। याचिका लगने के बाद कोर्ट ने सभी कॉलेजों दस्तावेज मंगवाए। इसके बाद दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें कई कॉलेज में दस्तावेज फर्जी पाए गए। अब विशाल मामले में सीबीआई की जांच का दायरा ग्वालियर से बढ़ाकर पूरे प्रदेश में करने की अपील हाईकोर्ट में दायर करने वाले हैं।

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