(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
भंवर में दिग्गज
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा की रणनीति थी इन नेताओं के सहारे उस क्षेत्र में पार्टी को मजबूत स्थिति में लाया जाये, लेकिन जैसे जैसे चुनाव आगे बढ़ रहे है ये दिग्गज नेता भंवर में फंसते नजर आ रहे है। हालात यह है कि पिछले चुनाव में पूरे प्रदेश का दौरा करने वाले ये नेता अब अपने क्षेत्र तक सिमटते नजर आ रहे है। इन नेताओं को बीजेपी ने स्टार प्रचारक बनाया है, लेकिन ज्यादातर नेता अब अपने दौरे कैंसिल करवाने में लगे है, जिससे उन्हें खुद के प्रचार के लिए ज्यादा समय मिल सके।
मध्य प्रदेश चुनाव में ईडी की सुगबुगाहट
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को ईडी का डर सता रहा है। कांग्रेस के नेता अब प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहने लगे है कि प्रदेश में चुनाव से पहले ईडी के छापे पड़ सकते है। पूर्व मुख्यमंत्री ने तो बाकायदा दिन भी गिना दिए कि इतने दिन बाद मध्य प्रदेश में ईडी छापे डालेगी। ED की कार्रवाई मध्य प्रदेश में एक जगह हुई है, लेकिन अभी तक किसी नेता या उनके नजदीकी कारोबारी के यहां नहीं हुई। हालांकि मध्य प्रदेश के आयकर दफ्तर में बढ़ती हलचल ने भी कांग्रेस के कान खड़े कर दिए है।
हाथी ने बढ़ाई टेंशन
2008 के चुनाव तक मध्य प्रदेश में बीएसपी तीसरी ताकत हुआ करती थी, लेकिन पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी आकर्षण का केंद्र रही, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में बीएसपी कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ने की स्थिति में है। ग्वालियर चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड की कुछ सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला हाथी से है। चंबल की चार सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का सीधा मुकाबला बीएसपी से ही है। यहां सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। भाजपा के रणनीति कार अमित शाह के BSP और समाजवादी पार्टी को ताकत देने वाली नसीहत के बाद अब बीजेपी नेता कांग्रेस को हारने के लिए बसपा और सपा के उम्मीदवारों को ताकत देने लगे है। इसका सीधा फायदा बीजेपी लेना चाहती है।
चुनावी मामला है..मामला भी गर्म है..
इसमें शक नहीं कि इस बार सत्ता के लिए कांटे की टक्कर है। गद्दी की दौड़ में बीते चुनाव में हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। यही कारण है कि बीते चुनावों की अपेक्षा इस बार कई गुना अधिक 226 करोड़ रुपये की नगदी जब्त की गई। लेकिन इस चुनाव में बालाओं की भी दवे पांव एंट्री हुई है। मामला भोपाल की विधानसभा का है। एक विधानसभा ऐसी जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं का राज तो दूसरी विधानसभा शहर के बीच की है। बीते दिनों मामले पर बवाल भी मचा। मामला उजागर होता, इससे पहले ही रफा दफा कर दिया गया। एमपी नगर और नादरा की होटल। खैर..इस बार तो गजब की सियासत है और गजब के रंग भी हैं।
जरा ध्यान दीजिएगा साहब..नया सिस्टम पर्ची
चुनाव आयोग भले ही सख्त हो, लेकिन नेता भी हमारे कम नही हैं। ताबड़तोड़ कार्रवाई को देख निकाल ही लिया नया रास्ता। रास्ता भी ऐसा की पर्ची ले जाए और जो चाहे पाएं। बस वोट जरूर दे जाएं। दरअसल, मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब से लेकर साड़ी हो या कपड़े बस एक पर्ची का खेल। और तो और प्रतिबंधित नशाखोरी पर जोर। 50 की पुड़िया के लिए भी पर्ची बनाई जा रही है। नेताओं के क्षेत्र में फैले मैनेजरों का मैनेजमेंट चुनाव आयोग की तमाम कवायदों पर भारी पड़ रहा है।
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