(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
ठगा गए मंत्रीजी
देश में इस समय सबसे चर्चित बाबा के आयोजन कराने के लिए नेताओ में होड़ मची हुई है. बाबा के दरबार के एक आयोजन के लिए मध्य प्रदेश में एक मंत्रीजी ठगी का शिकार हो गए. मंत्रीजी ने अपने क्षेत्र में बाबा बागेश्वर का दरबार लगाने के लिए पूरी ताकत लगाई. एक दिन के इस आयोजन के लिए मंत्रीजी ने बाबा के लिए उड़न खटोले तक का इतंजाम किया. इस पर उन्होंने 14 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन ऐन वक्त पर हवाई कंपनी हवा हवाई हो गई और उड़न खटोला नहीं पहुंचा. प्रदेश की आर्थिक राजधानी में बाबा की अगवानी के लिए खड़े मंत्रीजी को जब पता लगा तो उन्होंने कंपनी से चार गुना रकम वसूलने की धमकी भी दे डाली, लेकिन मंत्रीजी की धमकी भी कोई असर नहीं कर पायी. वहां मंत्रीजी के क्षेत्र में बाबा के भक्त इंतजार कर रहे थे, बाबा के भक्तों की संख्या लाखों में है. ऐसे में आयोजन सफल कराने के लिए मंत्रीजी ने आनन-फानन में दूसरे उड़न खटोले का इंतजाम किया और शाम को शुरू होने वाला आयोजन देर रात शुरू हुआ. खैर बाबा के क्षेत्र में पहुंचने के बाद मंत्रीजी ने राहत की सांस ली, क्योंकि बाबा के आने के बाद मंत्रीजी चुनाव में जीत की गारंटी मानकर चल रहे हैं. मंत्रीजी का मानना है कि इससे उन पर बालाजी की कृपा जो हो गई है.
निशाने पर नेताजी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता इस समय बीजेपी और संघ के निशाने पर हैं. ये नेताजी अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं हारे हैं, लिहाजा बीजेपी ने इस बार इस सीट पर खास फोकस किया है. नेताजी के सभी दलों में अच्छे संबंध रहे हैं, जिसका लाभ उन्हें हर चुनाव में मिलता रहा, लेकिन इस बार संघ के तेवर के चलते बीजेपी को इस सीट पर हर हाल में जीत का टास्क मिला है. संघ के निशाने के चलते इस सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं को जीत की जिम्मेदारी दी गई है. खुद 6 श्यामला हिल्स से इस सीट पर निगाह रखी जा रही है. खुद मुख्यमंत्री रोज नेताजी के इलाके में प्रभावशाली लोगों से बात कर रहे हैं. नेताजी के इलाके में संघ अपना मुख्यालय पहले ही खोल चुका है. कांग्रेस में नेताजी इस समय नंबर 1 की रेस में हैं इस समय उन्हें दूसरे जिलों की कमान भी मिली हुई है. ऐसे में नेताजी के सामने समस्या है कि वो अपनी सीट पर मेहनत करें या दूसरों की सीट पर.
हाथ तो आया पर मुंह न लगा
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में तबादलों के जरिए माल कमाने की सोच रहे नेता अफसरों के अरमान ठंडे रह गए. पिछली कैबिनेट में सरकार के द्वारा तबादलों से रोक हटाने की खबरों के बीच जमकर तबादलों को लेकर बुकिंग की. चुनावी साल में इनको उम्मीद थी कि बहुत माल कमाया जाएगा. लेकिन तबादलों को लेकर जारी गाइडलाइन ने सारे अरमान ठंडे कर दिए. सरकार ने तबादलों से प्रतिबंध तो हटाया लेकिन जिले के अंदर. ऐसे में विभागीय मंत्री और अधिकारियों के पास ज्यादा कुछ बचा नहीं. ऊपर से सीएम ने सख्त निर्देश दिए कि सीमित संख्या में ही तबादले किए जाएं. चुनावी साल में खर्च निकालने की सोच रहे नेताओं को इससे काफी निराशा हाथ लगी है. एक मंत्रीजी के यहां थोकबंद तबादलों की बुकिंग लेकर बैठे उनके सहायक इस आदेश के बाद अपने मित्र से कहते सुने गए हाथ तो आया पर मुंह न लगा.
आग में भी आहुति
मध्य प्रदेश में सबसे बड़े प्रशासिनक भवन सतपुड़ा में लगी आग में रिकॉर्ड के नाम पर भी आहुति डलवाई जा रही है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े दो अधिकरियों से वसूली का ऐसा ही कारनामा सामने आया है. सतपुड़ा भवन में लगी आग के बाद दो असिस्टेंड डायरेक्टर लेबल अधिकारी भोपाल में विभाग के माननीय के दफ्तर में खुद की सीआर की जानकारी लेने आए. इन अधिकारियों ने माननीय के स्टाफ में सीआर सही करवाने का सौदा पहले ही तय कर लिया था, लेकिन आग लगने की खबर के बाद जब ये अधिकारी माननीय के बंगले पहुंचे तो माननीय के विशेष कर्तव्य अधिकारी ने दोनों अधिकारियों से 2-2 लाख रुपये की वसूली कर डाली. विशेष कर्तव्य अधिकारी को पता था कि रिकॉर्ड पूरी तरह जलकर खाक हो गया है. ऐसे में इस आग ने वह कहावत सही कर दी कि न रंग लगे न फिटकरी और रंग चोखा ही आना था.
अफसरों ने लिख दी अध्यक्ष की टीप
मामला मध्य प्रदेश के एक नामी नगर निगम का है. जहां नगर निगम अध्यक्ष और महापौर की तकरार के बीच कागजों में वस्तु स्थिति स्पष्ट करने को लेकर फाइलें अटकीं तो अफसर महापौर के पाले में जाकर तो बैठ गए, लेकिन अटकी फाइलें आगे बढ़ाने का रास्ता नहीं खोज पाए. काफी मशक्कत के बाद जब कोई हल नहीं निकला तो अफसरों ने नई तरकीब निकाली और टीप लिखकर फाइलें अध्यक्ष को भेज दीं. अध्यक्ष फाइलें देखकर भौंचक्के रह गए, क्योंकि फाइलों पर अध्यक्ष की टीप पहले से लिखी हुई थी. दरअसल, फाइल पर अध्यक्ष की लिखी होने वाली टीप अफसरों ने ही लिख दी थी और फाइलें अध्यक्ष के पास सिर्फ चिड़िया बैठाने के लिए भेजी गई थीं. अफसरों की इस करतूत से अध्यक्ष आग-बबूला हो गए और बिना दस्तख्त किए फाइलें वापस लौटा दी गईं. मामला सरकार के कद्दावर मंत्री और संगठन के मुखिया तक भी पहुंचा. लेकिन अफसरों का मामला फाइलों में रिकाॅर्डेड होने से ऊपरी स्तर पर भी अध्यक्ष की घेराबंदी करने वाले अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके.
चर्चा जोरों पर है
चुनाव से पहले देश में मुफ्त के वादों की झड़ी लगी हुई है. कांग्रेस जहां 5 गांरटी के साथ जनता के बीच जा रही है, वहीं बीजेपी अभी तक अपना मेनिफेस्टो ही तैयार कर रही है. लाड़ली बहना योजना को बीजेपी गेमचेंजर मानकर चल रही है, लेकिन कांग्रेस की 5 गारंटी अभी भी परेशानी बनी हुई हैं. ऐसे में लाड़ली बहना के मंच पर मुख्यमंत्री ने जिस तरीके इस योजना में राशि बढ़ाने का ऐलान किया है, उसके बाद चर्चा जोरों पर है कि चुनाव से पहले ही सरकार प्रदेश की आधी आबादी को साध लेगी. इसके लिए लाड़ली बहना में किए सीएम के ऐलान को लेकर मुख्यमंत्री रक्षा बंधन और दीपवाली पर बड़ा तोहफा दे सकते हैं. इसमें रक्षा बंधन पर लाड़ली बहना के खाते में बढ़ी हुई राशि डालने की तैयारी की जा रही है!
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