(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
चुनाव से पहले ही मंत्री जी का इन्वेस्टमेंट
चुनावों का दौर और मंत्री का इन्वेटमेंट…चर्चा जोरों पर है। मंत्रालय से लेकर पार्टी के प्रदेश कार्यालय में मंत्री जी को समझने की कोशिश की जा रही है। मंथन इस बात को लेकर कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि चुनाव के ठीक पहले मंत्री जी ने दो करोड़ रुपये की जमीन खरीदी। भला ग्वालियर चंबल संभाग के मंत्री जी के लिए दो करोड़ कौन सी बड़ी बात है। साहब तो पहले भी मलाईदार विभागों के मंत्री रहे हैं और भोपाल के बाघ भ्रमण क्षेत्र में दो करोड़ की जमीन कौड़ियों के दाम ही मानकर चलिए। वैसे नियम कानून के दायरे में फंसी जमीन में पहली बार मंत्री जी ने अपना हाथ फंसाया है। अब चर्चा इस बात को लेकर है कि जमीन में दो करोड़ इन्वेस्ट करने वाले मंत्री जी का चुनावी बजट कितना होगा।
नशा उतरा तो होश उड़ गए मंत्रीजी के
मध्यप्रदेश के एक बड़े मंत्रीजी…अकसर आदिवासियों के साथ नाचते-गाते नजर आते हैं। वैसे तो मंत्रीजी हमेशा खुशमिजाज रहते हैं, लेकिन बस इनके शौक ऐसे हैं जो कभी-कभी भारी पड़ जाते हैं। अब बीते माह भी ऐसा कुछ हो गया। दरअसल, मध्य प्रदेश में लाए गए केंद्र के एक बड़े प्रोजेक्ट की विफलता से परेशान मंत्रीजी अपने ही महकमे के अफसरों से परेशान थे। ऊपर से प्रोजेक्ट के कारण हर जिले में मीडिया के सवालों की अलग परेशानी। इस बीच बीते दिनों महकमे में ट्रांसफर से खलबली अलग मच गई। मंत्री तो वैसे ही रोजाना अपनी टेंशन पी-पीकर खत्म कर लेते हैं। लेकिन, उस रात तो मंत्रीजी का गुस्सा मंत्रालय के एक बड़े अफसर पर उतर ही गया…न जाने क्या-क्या बोल गए मंत्री जी…अफसर भी ठाकुर साहब थे, सो रिकाॅडिंग कर मंत्रीजी के एक करीबी को पहुंचा दी गई। सुबह मंत्रीजी का नशा इस खबर से रफूचक्कर हो गया। फिर क्या था, मंत्रीजी ने फिर फोन लगाया और अपनी परेशानियां गिनाईं। हालांकि अफसर पढ़े-लिखे वकील हैं। लिहाजा, इंतजार कर रहे हैं चुनावी समय का।
कांग्रेस को भा गया बाहूबल
अपने जिले में हाशिए पर आ चुके पड़ोसी राज्य के नेताजी के बाहूबल से मध्य प्रदेश कांग्रेस काफी अधिक प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी को छोड़कर तीन-तीन पार्टियों में रह चुके राजा साहब को अपने प्रदेश में सफलता नहीं मिली तो अब मध्य प्रदेश में भाग्य आजमाना चाह रहे हैं। नेताजी ने मध्य प्रदेश में भी अपनी ही स्टाइल में आमद दी तो सब भौंचक्के रह गए। कई नेता तो नेताजी के काफिले के वीडियो वायरल करते-करते नहीं थके। समूचे प्रदेश में नेताजी के इस आमद के चर्चे जोरों पर हैं। क्योंकि चुनाव में नेताजी बुंदेलखंड के बड़े मंत्री के सामने मैदान में उतरने की ख्वाइश जो रख रहे हैं। लेकिन बाहूबल के साथ मध्य प्रदेश में हुई एंट्री में नेताजी के लिए कुछ नया नहीं था। क्योंकि पड़ोसी राज्य के बुंदेलखंड का ये स्टाइल बहुत पुराना है।
आए तो स्वागत, मनाएंगे किसी को नहीं
बात मध्य प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी की है। जहां चेहरा चमकाने वाले विभाग को लेकर पार्टी ने बड़ा फैसला ले लिया है। इसकी गाइडलाइन रखी गई है कि जो समय पर आएं उनका जोरदार स्वागत करें, लेकिन कार्यालय आने के लिए मनाएंगे किसी को नहीं। ये नई गाइडलाइन क्या आई तुरंत प्रभाव से इस पर अमल भी शुरू कर दिया गया। अब कार्यालय में इसका असर भी देखने को मिलने लगा है।
चर्चा जोरों पर है
बीजेपी की दूसरी और कांग्रेस की पहली लिस्ट…चुनावी मौसम में सबकी नजर फिलहाल इन दोनों लिस्ट पर लगी हुई हैं। लेकिन सीटों पर प्रबल दावेदारों के नाम लगभग सामने आ गए हैं। इन नामों को लेकर खबरें भी खूब प्रसारित और प्रकाशित हुईं तो राजनैतिक दलों की परेशानी बढ़ गईं। सीटों पर नजर गढ़ाए बैठे दूसरे दावेदारों ने अपनी पार्टी के दफ्तरों में डेरा डालना शुरू कर दिया तो राजनैतिक दल सफाई पेश कर रहे हैं कि अभी सूची जारी नहीं हुई है। खास बात ये है कि तमाम दलीलों के बाद भी ऐसे दावेदारों के नामों की चर्चा जोरों पर है।
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