(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
नेताजी की पप्पी
राजधानी भोपाल में कांग्रेस के कद्दावर नेता की एक महिला कार्यकर्ता ने सरेआम पप्पी ले ली. महिला ने ‘किस’ किस भाव से किया ये तो महिला और नेताजी ही बता सकते हैं, लेकिन कांग्रेस कार्यालय के बाहर सड़क पर हुई घटना से मौजूद पत्रकार और कांग्रेस कार्यकर्ता भौचक्के रह गए. नेताजी की कांग्रेस में स्टाइलिश नेताओं में गिनती होती है. सांसद, मंत्री, विधायक होने के बाद भी नेताजी कुर्ते पायजामा से परहेज करते हैं. उनकी स्टाइल के चर्चे भी होते हैं. इस वाकये के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता उन्हें मध्य प्रदेश का शशि थरूर बताने लगे हैं.
लूप लाइन की खुशी
भोपाल के एक स्मार्ट अफसर इन दिनों लूप लाइन में जाकर भी खुश हैं. इस युवा आईएएस अधिकारी को सरकार ने मैदान से हटाकर मंत्रालय में विज्ञान और आईटी विभाग में पोस्टिंग कर दी है. इसे लूप लाइन की पोस्टिंग माना जा रहा था क्योंकि विभाग में भी ज्यादा काम और बजट नहीं है, लेकिन विभाग में आने के बाद कई प्रोजेक्ट के लिए इस अधिकारी को सरकार के द्वारा अमेरिका भेजा जा रहा है. इससे पहले साहब यूरोप की सैर भी कर चुके हैं. लगातार हो रहे विदेश दौरे को लेकर अफसर अपने साथियों को खुशी से बता रहे हैं कि भले ही उनके पास विभाग मलाईदार न हो पर सरकारी खर्चे पर विदेश की सैर करने को तो मिल ही रही है. साहब के लूप लाइन में मजे देखकर दूसरे आईएएस अधिकारी चर्चा कर रहे हैं कि यह चमत्कार है या विज्ञान का खेल है.
चार्ज पर बवाल
चंबल संभाग के एक जिले के बड़े साहब अवकाश पर गए. अवकाश पर जाना तो ठीक था पर साहब ने चार्ज वहां के एडीएम को न देकर दूसरे अधिकारी को दे दिया. इस बात को लेकर जिले के प्रशासनिक हल्के में बड़ी चर्चा है, क्योंकि जिन साहब को चार्ज दिया गया उनके साथ ही उनके बैच के एक और अधिकारी को उम्मीद थी कि एक ही बैच में रेंक में सीनियरटी का फायदा उन्हें मिलेगा. लेकिन बड़े साहब की कृपा उन पर नहीं हुई. वहीं प्रभार को लेकर जो आदेश जारी हुआ उसको लेकर भी बड़ी चर्चा है. इसमें अधिकारी को उनके समकक्ष अधिकारी से दो साल सीनियर बताया गया. दबी जुबान में जिले के अधिकारी चर्चा कर रहे हैं कि ये टाइपिंग मिस्टेक है, या जानबूझकर सीनियरटी दिखाकर चार्ज दिलाने की साजिश.
नेताजी नाराज हैं
मध्य प्रदेश में बीजेपी इन दिनों चुनावी जमावट में जुट गई. इसको लेकर लगातार बैठकें की जा रही हैं. मुख्यमंत्री निवास में जिले से सीनियर नेताओं और कोर कमेटी के सदस्यों को बुलाकर फीडबैक लिया जा रहा है. साथ ही आपसी विवाद दूर कर मनमुटाव दूर करने के लिए कहा जा रहा है. ऐसी ही एक बैठक में बुंदेलखंड के बड़े जिले से नेताओं को अचानक सीएम हाउस बुलाया गया. बैठक में शामिल होने के लिए जिले नेता भोपाल पहुंचे भी, लेकिन इसी जिले से प्रदेश सरकार के एक बड़े मंत्री की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय रही. मंत्रीजी सीएम हाउस बुलावे के बाद जिले से रवाना तो हुए पर रास्ते से ही वापस हो लिए. कहा जा रहा है कि मंत्री के खिलाफ एक बार फिर जिले के सभी नेता मोर्चा खोलने की तैयारी में थे. जिसकी जानकारी मंत्रीजी को लग गई और उन्होंने बैठक से दूरी बना ली. मंत्रीजी का इन दिनों जिले के ही दो और सीनियर मंत्रियों से विवाद चरम पर है, जिसके बाद उनके समर्थकों और उन पर हुई कार्रवाई से मंत्रीजी खासे नाराज हैं.
पार्टी में ’45 समूहों का कच्चा’, ‘एक का कील सहित पक्का’
वाक्या पिछले दिनों का ही है जब ‘सबका कच्चा’ हटाकर खुद का ‘पक्का’ करने के लिए परमानेंट कीलें ठोक दी गई. ये कीलें हाल ही में तलघर में तैयार हुए नए नवेले सभागार में ठोकी गईं तो इसकी धमक ने पूरे कार्यालय में सोर मचा दिया. बात पार्टी के मुखिया के घर तक भी पहुंचाई गई. कार्यक्रम संपन्न होने के बाद अगले ही दिन तुरत-फुरत में आपत्ति दर्ज कराई गई और तलब कर कहा गया कि प्रभारियों की परमिशन के बिना अब न कोई टेबल खिसकाई जाए न ही कोई कील लगाई जाए. साथ ही निर्देश जारी किए गए कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के इस सभागार पर किसी एक प्रकोष्ठ का मालिकाना हक नहीं है, बल्कि पार्टी के सभी 45 प्रकोष्ठ का यहां समान अधिकार है. निर्देश ये भी दिए गए कि 45 प्रकोष्ठ के नामों का जो बिना किसी फ्रेम का फ्लैक्स लगा हुआ था, कार्यक्रम में खुद का बड़ा नाम चमकाने के लिए उसे हटाकर लोहे के फ्रेम का जो परमानेंट बोर्ड लगा दिया गया है वह तुरत-फुरत हटाया जाए साथ ही सभी प्रकोष्ठ के नाम पर अब परमानेंट बोर्ड लगे.
चर्चा जोरो पर है
मध्य प्रदेश में इन दिनों सतपुड़ा भवन में लगी आग की चर्चा जोरो पर है. भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग के कारण स्वास्थ्य विभाग का बड़ा रिकॉर्ड जलकर खाक हो गया है. आग लगने के कारण शुरुआती जांच में भले ही AC में फॉल्ट होना बताया जा रहा है, लेकिन जिस कमरे में आग लगी वहां के अधिकारी उस दिन अवकाश पर थे. ऐसे में सवाल यह भी है कि बंद कमरे में AC चला कौन रहा था. वहीं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मचारियों का रिकॉर्ड पूरी तरह खाक हो गया है. सरकार का कहना है कि टेंडर से लेकर अन्य भुगतान की फाइलों को रिकवर कर लिया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड को लेकर है. विभाग के कर्मचारियों की मानें तो रिकॉर्ड पूरी तरह जलकर खाक हो गया है. ऐसे में दागी अफसरों की सीआर रिपोर्ट जलने के बाद उनके खिलाफ सरकार कैसे कार्रवाई करेगी यह बड़ा सवाल है. इस आग से जहां ईमानदार कर्मचारी दुखी हैं, तो दागी अफसर रिकॉर्ड जलने से खुश नजर आ रहे हैं.
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