अजय शर्मा, भोपाल। मध्य प्रदेश में 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आयकर विभाग की छापे में फंसे तीन आईपीएस अफसरों ने अपने खिलाफ हो रहे विभागीय जांच का विरोध किया है। रिटायर्ड एडीजी वी मधु कुमार, संजय माने और एडीजी सुशोभन बनर्जी ने विभागीय जांच से पहले जवाब दाखिल कर जांच पर सवाल खड़े किए हैं।

मध्यप्रदेश में पहली बार तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू, जानिए क्या है पूरा मामला ?

गृह विभाग को पत्र लिखते हुए अफसरों ने कहा कि ना हम पर कोई छापेमारी हुई है, ना हमारे पास कोई पैसा है, ना ही कोई बरामदगी हुई है, फिर किस बात की कार्रवाई। अफसरों ने सरकार के आरोप पत्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कहीं नाम लिखा मिल जाने से जांच कैसी..?। दरअसल, आयकर छापों में मिले दस्तावेजों में तीनों अफसरों के नाम सामने आए थे। सरकार ने इनसे इस मामले में जवाब मांगा था। संतुष्ट न होने पर 26 जून को विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए थे। यह जांच रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह करेंगे। लेकिन 989 बैच के रिटायर्ड आईपीएस अफसर बी मधुकुमार और संजय माने और 1991 बैच के आईपीएस अफसर सुशोभन बैनर्जी ने इस जांच का विरोध किया है।

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बता दें कि 2019 में कारोबारी अश्विन शर्मा और प्रतीक जोशी के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मापी की थी। इनके यहां से लेन-देन की डायरी और फाइल जब्त की गई थी। जिसमें तीनों अफसरों के नाम सामने आए थे।

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