अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन नगर (Raisen) प्रदेश का पहला ऐसा नगर होगा जहां साल में दो बार रावण (Ravan) का पुतला जलाने की परंपरा है। दरअसल, रायसेन में दशहरे के बाद यहां लगने वाले वार्षिक रामलीला मेले (Ramlila Mela) में रामलीला के मैदानी मंचन के तहत रावण वध के बाद दशहरे की ही तरह 40 फिट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। इस दौरान पूरा नगर इस आयोजन में शामिल हुआ। पिछले सौ सालों से आयोजित होने वाले प्रसिद्ध रामलीला मेलें का आज एक महीने के बाद रावण दहन के बाद समापन किया गया है।

इस अवसर पर रावण वध के बाद शानदार आतिशबाजी के बाद रावण के पुतले का दहन किया गया। रायसेन में लगने वाले इस प्रसिद्ध रामलीला मेले में साम्प्रदायिक एकता (Hindu Muslim Unity) का रूप भी देखने को मिलता है। यहां हिंदू मुस्लिम वर्ग के सभी लोग मेले में आकर इसका आनंद उठाते है।

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रायसेन के प्रसिद्ध रामलीला मेला आसपास के क्षेत्र में मैदानी रामलीला के मंचन के लिए जाना जाता है। इस रामलीला में मंचन करने वाले सभी कलाकार स्थानीय होते है। जो अपनी कला का प्रर्दशन करने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते है। इस प्रकार का आयोजन प्रदेशभर में केवल रायसेन और विदिशा दो ही जगह होता है। नवाबी शासन काल से शुरू हुए इस रामलीला मेले को सौ साल से ज्यादा हो चुके है।

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रामलीला के मैदानी मंचन को लेकर इस मेले में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बडी संख्या में दर्शक रायसेन आते है। भोपाल नवाब हमीदुल्ला साहब ने ही इस मेले के लिए श्री रामलीला मेला समिति को यह जमीन उपलब्ध कराई थी। तब से ही इस मेले को साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए भी जाना जाता है। महीने भर चलने वाले इस आयोजन में सभी वर्ग और सांमप्रदाय के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है।

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