हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ से ज्यादा के फर्जी बिल घोटाला कांड में व्यापमं कांड का तर्ज पर घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की हत्या का दौर शुरू होने की कांग्रेस ने आशंका जताई जा रही है। सबसे ज्यादा लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर स्वाभाविक मृत्यु दर्शाने की प्रबल संभावना हैं।

म.प्र.कांग्रेस कमेटी महासचिव राकेश सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डीजीपी को पत्र लिखकर आगाह किया है कि इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ से ज्यादा की राशि फर्जी बिल से हड़पने में इंदौर नगर निगम में अनेक अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता हैं। ऐसी परिस्थितियों में भाजपा के एक हाई प्रोफाइल नेता के संरक्षण में इस घोटाले का षड्यंत्र रचकर अंजाम दिया गया हैं।

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उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी व्यापमं घोटाले में 2007 से 2015 के बीच व्यापम व्यापमं से जुड़े 32 लोगों की मौत अज्ञात वजहों से हुई थी। किसी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी और किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। आज तक इन मौतों का सच सामने नहीं आया है। जब की अपुष्ट खबरों के अनुसार और स्वतंत्र मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस मामले में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। यह सभी लोग किसी न किसी हादसे का शिकार हुए थे।

ऐसी प्रबल संभावना है कि इंदौर नगर निगम में करोड़ों के घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को निशाना बनाकर घोटाले के सच को छिपाने के लिए समाप्त करने की कोशिश की जा सकती है जिससे की आर्थिक घोटाले के सरगना तक पुलिस और कानून पहुंच न पायें।

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कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव के अनुसार इंदौर नगर निगम घोटाले का मास्टरमाइंड भाजपा का एक बड़ा नेता है। जिसके संरक्षण में दो एमआईसी सदस्यों ने 2020 से लेकर 2024 तक लगभग 150 करोड़ का भुगतान फर्जी बिलों के माध्यम से निकाल कर सारा रिकॉर्ड गायब कर रखा है। विशेष ऑडिट टीम बनाने के बाद ही घोटाले का सही आंकड़े कर पहुंचा जा सकेगा। निगम के सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम के 12 अधिकारी और 19 कर्मचारी इस घोटाले के राज़दार है। सूत्रों के अनुसार निगम के सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दिये गये हैं और हार्ड डिस्क भी रातों रात बदल दी गई हैं।

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उपरोक्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पता था की फर्जी बिल लगाकर लगातार भुगतान कराया जा रहा है लेकिन पैसों के लालच में लगातार यह खेल जारी रहा। फर्जी बिल का मामला सिर्फ़ ड्रेनेज कार्यों तक सीमित नहीं है। अनेक निर्माण कार्यों में फर्जी बिलों को लगाकर भुगतान कराया गया है। जांच शुरू होने पर घोटाले के दायरे में अन्य विभागों के अधिकारी भी आयेगें। फिलहाल बड़े स्तर पर मामला ठंडा करने का प्रयास जोर शोर से शुरू हो गया है। भ्रष्टाचार में शामिल लेखा विभाग के अधिकारियों की जिंदगी बचाना बेहद जरूरी है वरना व्यापमं जैसा इस निगम कांड का सच सामने नहीं आएगा।

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कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री भी दबाव में हैं। ऐसे में पीएम मोदी को सेंट्रल एजेंसी से जांच कराकर “मोदी की गारंटी” की सुरक्षा करना चाहिए। वरना मोदी की गारंटी सिर्फ़ भ्रष्टाचार की गारंटी बनकर रह जायेगी। कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों के जांच करने पर स्थानीय स्तर पर घोटाले के सरगना सफेदपोश भाजपा नेता बेनकाब हो जायेंगे। मोदी की गारंटी की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री को सेंट्रल एजेंसी के माध्यम से सारे घोटाले की जांच कराने के आदेश मोहन सरकार को देना चाहिए।

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