शिखिल ब्यौहार,भोपाल। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है. मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है. खासकर राजधानी भोपाल के आसपास के वन क्षेत्रों में बाघ बेहतर जीवन जीने में सफल रहे हैं. जिसका परिणाम है कि राजधानी और उससे लगे अभ्यारण्य में बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है. अब भोपाली बाघों का स्वभाव बदल रहा और वो फ्रेंडली हो रहे हैं.
भोपाल में 18 से 22 बाघों का मूमेंट
दरअसल वन विभाग की मॉनिटरिंग में खुलासा हुआ है कि भोपाल में बाघों का स्वभाव बदला है. अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका शोध होगा. वर्ल्ड कैपिटल जोन में एकमात्र शहर भोपाल है, जहां 18 से 22 बाघों का मूमेंट है. शहरी सीमा क्षेत्र के अंदर भोपाल में बाघ मौजूद हैं. वन विभाग की मॉनिटरिंग रिपोर्ट में सामने आया है कि मानव संसाधनों का उपयोग बाघ कर रहे हैं.
अर्बन टाइगर मैनेजमेंट का केंद्र बना भोपाल
राजधानी भोपाल अब अर्बन टाइगर मैनेजमेंट का केंद्र बन गया है. टाइगर अब सड़क, आवाजाही, आबादी, पर्यटन स्थल के साथ वन और पहाड़ियों का उपयोग कर रहे हैं. सड़क क्रासिंग, शिकार और स्ट्रीट लाइट, डेंसिटी एरिया को लेकर बाघों के स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिला है. मानव और बाघ के बीच संबंध को लेकर भोपाल अर्बन टाइगर मिसाल बन रहे हैं. 15 सालों में भोपाल अर्बन टाइगर्स के स्वभाव में परिवर्तन आया है.
विभाग ने डाटा कलेक्शन का काम किया शुरू
वन विभाग के भोपाल डीएफओ डॉक्टर आलोक पाठक का कहना है कि विश्व के अंदर अपने आप में एक बड़ा उदाहरण भोपाली टाइगर हैं. ये अपने आप को एक्सपोज कर रहे हैं. टाइगरों ने अपना सिस्टम विकसित किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर का भी उपयोग कर रहे हैं. यह अनूठा मेल है. भोपाल खुशनसीब है. बाघों के कारण जंगलों की स्थिति सुधर रही हैं. अब वन विभाग ने डाटा कलेक्शन का काम शुरू कर दिया है. जिससे कई प्रकार के एनालिसिस हो रहे हैं.
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