शरद पाठक, छिंदवाड़ा। एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियों में किसानों की ऋण माफी की होड़ लगी हुई है। एक से बढ़कर एक वादे किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सहकारिता विभाग द्वारा बिना ऋण लिए ही भू-अभिलेख में निर्धारित ऋण की लिमिट को आधार बनाकर किसानों की जमीन बंधक बनाकर वेबसाइट पर चढ़ा दी गई है, जिससे किसानों में आक्रोश है। किसानों का कहना है कि जब हमने इतना ऋण लिया ही नहीं है तो वह ऋण हमारे खाते में क्यों दर्शाया जा रहा है। इसके अलावा जमीन दृष्टि बंधक होने से वह कहीं और से भी ऋण नहीं ले पाएंगे।

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दरअसल, परासिया की भाजी पानी सहकारी समिति के हितग्राही किसान उस समय भौंचक्के रह गए, जब उनके भू-अभिलेख में उनके द्वारा लिए गए लोन से ज्यादा राशि की प्रविष्टि पाई गई। किसी ने अगर एक लाख का लोन लिया है तो उसके खाते में दो -ढाई लाख तक का लोन दर्शाया जा रहा था। जिससे सहकारिता आयुक्त मध्यप्रदेश के आदेश पर जांच करने आई टीम के सामने किसानों का आक्रोश फूट पड़ा। इस दौरान अधिकारियों और किसानों में तीखी नोकझोंक हुई।

बताया जाता है कि सहकारिता आयुक्त के आदेश के अनुसार किसानों के खाते में वह राशि दर्शाई जा रही है, जितनी राशि का किसान क्रेडिट कार्ड में उसे मंजूर हुआ है। अब अगर किसी ने मंजूर राशि से कम लोन लिया है तो भी उसके खाते में उस राशि का लोन दर्शाया जा रहा है, जिस राशि की पात्रता उसे प्राप्त है। लेकिन उन्होंने लिया नहीं है। अभी तक क्रेडिट कार्ड की एंट्री भू-अभिलेख में नहीं होती थी। जिसके कारण किसान जरूरत पड़ने पर दूसरी जगह से लोन ले सकता था। आयुक्त के नए आदेश से किसानों के सामने एक नया संकट पैदा हो गया है, जिसे लेकर आज चांदामेटा में जांच दल को किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

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वहीं अधिकारियों का कहना है कि हमें शासन से आदेश मिले हैं जिसका हम पालन कर रहे हैं। वही किसानों का कहना है कि जो लोन हमने लिया ही नहीं है। उसकी प्रविष्टि हमारे खाते में क्यों की जा रही है। किसानों के मुताबिक उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड में 0% राशि पर लोन मिलता है, जिसकी प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार से होती है. सहकारिता विभाग ज्यादा लोन दर्शाकर केंद्र सरकार से ब्याज सब्सिडी लेकर भ्रष्टाचार कर रहा है।

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