शब्बीर अहमद,भोपाल। सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का. यह कहावत मध्य प्रदेश में एक विधायक सचिन बिरला पर सही चरित्रार्थ हो रही है. सचिन बिरला की सदस्यता कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गई है. सचिन बिरला से कांग्रेस ने किनारा करते हुए उनका नाम विधायक दल से हटा दिया है. जिससे राजनीति और गर्मा सकती है.

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कांग्रेस विधायक दल के सचेतक गोविंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की सूची से सचिन बिरला का नाम हटाया गया है. अब उन्हें बजट सत्र में जहां बैठना है बैठ सकते हैं. बीजेपी उन्हें लेकर आई है, तो अब उन्हें अपने पास बैठाएं. सचिन बिरला की सदस्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.

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चार महीने पहले उपचुनाव में भाजपा को राजनीतिक लाभ लेने के लिए भाजपा ने बिरला को मंच पर अपने साथ कर लिया था. बिरला ने भी कांग्रेस छोड़ने का ऐलान भी कर दिया था. बिरला ने इसके बाद भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार भी किया था. मगर आज तक बिरला विधानसभा सचिवालय के रिकॉर्ड में वे कांग्रेस विधायक बने हैं और विधायक की सभी सुविधाएं मिल रही हैं.

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