रवि रायकवार, दतिया। देश को आजाद हुए 77 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी कई ग्रामों में हालत बदतर हैं। ऐसा ही एक मामला दतिया जिले के एक गांव से सामने आया है। जहां मिडिल और हाई स्कूल नहीं है। पढ़ाई के लिए बच्चों को जान जोखिम में डालकर नदी पाकर दूसरे गांव जाना पड़ता है। यह मामला ग्राम नरेटा का है।

इस गांव में केवल प्राइमरी स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चे तगा गांव स्थित स्कूल में जाते हैं। बीच में अंगूरी नदी पड़ती है। इस नदी पर पुल नहीं है, ऐसे में बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार स्कूल जाते हैं l नदी के दूसरी तरफ जाकर ये बच्चे अपने कपड़े बदलते हैं, तब कहीं स्कूल जाते हैं। लेकिन कई बार उनकी किताबें भी भीग जाती है।

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नदी का जल स्तर बढ़ने पर बच्चे नदी पाकर करते वक्त बह जाते हैं। दो बच्चे तो नदी के बहाव में बह चुके हैं। सर्दी के मौसम में बच्चे नदी के पानी में भीगने से अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। ग्रामीण जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से कई बार मिलकर नदी पर पुल बनवाने की मांग कर चुके हैं। चुनाव के वक्त नेता पुल बनवाने का वादा कर जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं l

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इस मामले में जिला पंचायत सीईओ कमलेश भार्गव का कहना है कि इस समस्या का पता ही नहीं था। इसे बिडंबना ही कहा जा सकता है कि हमारे देश को आजाद हुए 77 साल हो गए हैं। लेकिन लेकिन गांव में मूलभूत सुविधाएं तो दूर विकास के बड़े बड़े दावे करने वाली सरकारें स्कूली बच्चों के लिए एक पुल भी नहीं बनवा पाई हैं।

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