दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। मप्र के आदिवासी जिला डिंडोरी (Dindori) की रहने वाली बैगा महिला लहरी बाई बेवर बीज बैंक (Beaver Seed Bank) की मालकिन बनी है। लहरी ने बिना किसी सरकारी मदद और निजी लाभ लिए बेवर बीज बैंक तैयार कर वो मुकाम हासिल किया है कि अब उसे कृषि विभाग सहित जिला प्रशासन अपने जिले का रोल मॉडल (Role Model) बनाने जा रहा है। जिला कलेक्टर विकास मिश्रा (IAS Vikas Mishra) ने लहरी बाई की फोटो को अंतरराष्ट्रीय लघु धान्य वर्ष 2023 पोस्टर को कलेक्ट्रेट सभागार कक्ष में लगवाया है। वहीं आज कलेक्टर ने स्टार आफ द मंथ का प्रमाण पत्र देकर लहरी बाई को सम्मानित किया। साथ ही अपनी कुर्सी में बैठाकर सम्मान बढ़ाया है।

लहरी की कहानी उसी की जुबानी

दरअसल, डिंडोरी जिला के बजाग जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सिलपिढी की रहने वाली 27 वर्षीय बैगा महिला लहरी बाई (Lahari Bai) बताती है कि उन्हें बचपन से ही उनके पूर्वजों से बेवर खेती करना और उसके बीज को सहेजने की जानकारी मिली है। बेवर बीज की खेती से उत्पन्न होने वाले पौष्टिक अनाज को खाने शरीर हष्ट पुष्ट रहता है और जीवन आयु भी लंबी होती है। जिसके चलते लहरी बाई ने अपने खेत में धान और कोदो की फसल के साथ साथ सामुदायिक अधिकार वाले जंगल की जमीन में पारंपरिक खेती (Traditional Farming) में इस्तेमाल करने वाले बीजों को सहेजने का काम किया है।

बीज बैंक में 28 से ज्यादा पौष्टिक बीज उपलब्ध

लहरी बाई के घर में यू तो तीन कमरे है जो मिट्टी की जुड़ाई और खपरों से बने। एक कमरे में लहरी बाई का परिवार रहता है, दूसरे में घर के अन्य सामान और तीसरे में सामुदायिक बेवर बीज बैंक है। जिसमें तरह तरह के बीज उपलब्ध है। इसके लिए लहरी बाई ने बड़ी-बड़ी मिट्टी की कोठी भी बनाई है ताकि उसे लंबे समय के लिए सुरक्षित रखा जा सके।

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बीजों के प्रकार- जिनमें कांग की चार प्रजाति- भुरसा कांग, सफेद कलकी कांग, लाल कलकी कांग, करिया कलकी कांग। सलहार की तीन प्रजाति- बैगा सलहार, काटा सलहार, ऐंठी सलहार। कोदो के प्रजाति- बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, छोटी कोदो। मढिया की प्रजाति- चावर मढिया, लाल मढिया, गोद पारी मढिया, मरामुठ मढिया। साभा की प्रजाति- भालू सांभा, कुशवा सांभा, छिदरी सांभा। कुटकी की प्रजाति- बड़े डोंगर कुटकी, सफेद डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, चार कुटकी, बिरनी कुटकी, सिताही कुटकी, नान बाई कुटकी, नागदावन कुटकी, छोटाहि कुटकी, भदेली कुटकी, सिकिया बीज। दलहनी फसल- बिदरी रवास, झुंझुरु, सुतरु, हिरवा, बैगा राहर के बीज लहरी बाई के पास मौजूद है।

बैगा ग्रामीणों में जगा रही पारम्परिक खेती की अलख

बैगा ग्राम सिलपिढी में जन्मी महिला लहरी बाई ने पारंपरिक खेती को बचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब तक 350 से ज्यादा किसानों को बीज बैंक (Seed Bank)के जरिये बीज वितरित किया है। लहरी बाई ने तीन विकासखंडों समनापुर, बजाग और करंजिया के ग्रामों में बेवर बीज वितरित किये है। इनमें किवाड़, चपवार, गौरा, ढाबा, जीलंग, अजगर, लमोठा, धुरकुटा का जामुन, टोला, कांदावानी, तातर, सिलपीढ़ी, डबरा, ठाड़पथरा, पांडपुर, लिमहा, दोमोहनी, केन्द्रा, लदरा, पीपरपानी, बर्थना, कांदाटोला, सैला ग्राम शामिल है, जिन्हें बीज दिया है। लहरी ग्राम जाकर कार्यक्रमों के माध्यम से बीज बांटती है और उत्पादन होने पर बीज की मात्रा थोड़ा वापस ज्यादा लेती है।

माता पिता की सेवा के चलते नही लगवाई हाथों में मेहंदी

लहरीबाई की मां चेती बाई का कहना है कि बेटी लहरी उनकी बहुत सेवा करती है। साथ ही खेती किसानी कर भरण पोषण के लिए अनाज इकट्ठा करती है। चेती बाई ने बताया कि लहरी बाई समेत उनके 11 बच्चें थे जिनमें 5 बेटे और 6 बेटियां, लेकिन धीरे धीरे कर सभी खत्म हो गए। जिसमें लहरी और एक अन्य बेटी बची है जिसकी शादी हो चुकी है। लहरी बाई अपने बूढ़े मां बाप की सेवा जी जान से करती है, जिसके चलते उन्होंने अब तक अपने हाथों में मेहंदी तक नही लगवाई।

बेवर जमीन का पट्टा चाहिए

लहरी बाई बीते 10 सालों से बीज को सहेजने के लिए लगातार संघर्ष करती आ रही है। जिन बैगा ग्रामो में लहरी जाती है वहां की उन्नत किस्म के बीज लेकर अपने जंगल मे उगाती है। लहरी बाई की जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार से यही मांग है कि बेवर खेती कर लिए उंन्हे जमीन का पट्टा दिया जाए ताकि वे बेहतर ढंग से ट्रैक्टर से खेती कर सके इसके साथ ही जंगल भी सुरक्षित रहेगा।

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लहरी बाई के बीज बैंक पहुंचा कृषि विभाग

डिंडोरी कृषि विभाग की नवनियुक्त प्रभारी उप संचालक अभिलाषा चौरसिया बेवर बीज बैंक को जानने और समझने के लिए ग्राम सिलपिढी पहुंची। इस दौरान लहरी बाई ने बीज बैंक में मौजूद तमाम किस्म के उन्नत बीज के बारे में जानकारी दी साथ ही जंगल जाकर लगाए गए पौधों को भी दिखाया।

कृषि विभाग की प्रभारी उप संचालक अभिलाषा चौरसिया ने कहा कि लहरी बाई ने बेवर खेती के अलग-अलग बीजों को रखा हुआ है। जिनमें लघु धान्य फसलों और अन्य फसलों के बीजों को सुरक्षित कर रखा हुआ है। साथ ही फसलों के चलते जंगलों को बचाया हुआ है अब कृषि विभाग अलग-अलग प्राइवेट संस्थाओं के साथ एमओयू (MOU) साइन किया हुआ है उनके माध्यम से उनके बीज को ओर आगे बढ़ाएंगे जिससे ज्यादा लोग जान पाये। लोगों की हेल्थ को लेकर कृषि विभाग (Agriculture Department) हेल्दी और पौष्टिक पौधों का चयन करेंगी जिससे उसका फायदा लोगों को मिल सकें।

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