हेमंत शर्मा, इंदौर। इरादे रोज बनते और टूट जाते हैं। लेकिन पूरे उनके होते है जो अपनी जिद्द पर अड़ जाते हैं। अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो सब कुछ आसान होता है। ऐसी ही एक मिसाल मध्यप्रदेश के इंदौर की बेटी बुलबुल ने पेश की है। बुलबुल देश की पहली मूकबधिर नर्स हैं और अब अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही है।
मरीजों का इलाज कर रही ये नर्स बुलबुल पांजरे है। बुलबुल बोल सुन नहीं सकती लेकिन मरीजों की परेशानियों और बीमारी के बार में पता कर उन्हें बेहतर ट्रीटमेंट दे रही है। बुलबुल जब डेढ़ साल की थी तब माता पिता को पता चला की उनकी बेटी बोल सुन नहीं सकती। बुलबुल की मां संगीता पांजरे स्पेशल बच्चों की टीचर और पिता यूनिवर्सिटी में जॉब करते हैं। बुलबुल का भाई भी मूकबधिर और कंप्यूटर ऑपरेटर है।
पढ़ने लिखने में होशियार थी बुलबुल
बुलबुल शुरू से ही पढ़ने लिखने में होशियार थी। मां ने स्पेशल बच्चों की ट्रेनिंग लेकर बेटी को पढ़ाया। नॉर्मल बच्चों के साथ स्कूल जाती और खेलती, पढ़ाई पूरी होने के बाद जब ग्रेजुएशन की बारी आई तो बुलबुल ने मां संगीता से डॉक्टर बनने की जिद की। पहले समझाया क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई करना आसान नहीं होता और बुलबुल अन्य बच्चों से अलग थी।
बेटी की जिद के आगे माता-पिता ने नर्सिंग का कोर्स करवाने का मन बनाया और एडमिशन के लिए कॉलेजों के चक्कर काटने लगे, लेकिन हर तरफ से निराशा मिली क्योंकि बुलबुल बोल सुन नहीं सकती थी, सभी ने यहीं कहा कि ये नहीं कर पाएगी। लेकिन माता पिता ने हार नहीं मानी और बुलबुल को आखिरकार एक मेडिकल कॉलेज में एडमिशम मिल गया और उसने नर्सिंग कोर्स में टॉप किया।
बुलबुल ने कोर्स तो पूरा किया पर मूकबधिर होने के चलते जॉब नहीं मिल रही थी। इसके बाद बुलबुल की जॉब लगवाने का बीड़ा इंदौर तुकोगंज के थाना प्रभारी कमलेश शर्मा ने उठाया और डॉक्टरों से बात कर अस्पताल संचालकों को बुलबुल के बारे में बताया और उनके इस प्रयास से बुलबुल को सैलबी अस्पताल में जॉब मिली।
थाना प्रभारी कमलेश शर्मा ने बताया कि एक कार्यक्रम के दौरान इस बिटिया से मुलाकात हुई थी, मुझे पता चला की बुलबुल नर्स हैं और मूकबधिर होने के चलते उसे नौकरी में दिक्कत आ रही हैं तो हम लोगों ने डॉक्टर और अस्पताल संचालकों से बात करके उसकी नौकरी में मदद की। भविष्य में भी बुलबुल को किसी चीज की आवश्यकता होगी तो इंदौर पुलिस उसके साथ खड़ी हैं।
बुलबुल पंजारे देश की पहली मूकबधिर नर्स हैं जो अब अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही है। उसने कोरोना काल की दूसरी लहर में भी कोविड पेशेंट का इलाज किया। बुलबुल से जब मोनिका पुरोहित ने साइन लैंग्वेज में बात की तो उसने बताया कि वह सेवा करना चाहती है। उसका सपना था कि डॉक्टर बने, अब मरीजों के बीच रहकर उनका इलाज करना अच्छा लगता है। पहले परेशानी आई थी, मरीज डरते थे। उन्हें पता चलता था कि बुलबुल बोल सुन नहीं सकती, लेकिन जब वह इलाज करने लगी तो अब मरीज भी उसी से इलाज करवाते हैं। अब बुलबुल नौकरी कर रही है, साथ ही फरवरी 2022 में शादी करके अपने पति के साथ रह रही है।
बता दें कि इंदौर की संस्था आनंद मूकबधिर ऐसे स्पेशल बच्चों के टैलेंट और उनके भविष्य के लिए काम कर रहा है। बुलबुल और ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्हे संस्था के माध्यम से अलग-अलग प्लेटफार्म मिले हैं। आनंद मूकबधिर संस्थान ने ही पाकिस्तान से आई गीता को उसके परिवार से मिलवाया था।
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