कुमार इंदर,जबलपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गरीब कन्याओं के विवाह के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का अधिकारियों ने मजाक बना लिया है। योजना के तहत गरीब परिवार की बेटियों को इसका लाभ दिया जाता है। लेकिन एक ऐसा भी मामला सामने आया है, जिसमे एक बेटी को योजना के तहत लाभ देने के बाद जिला प्रशासन ने दहेज के सामान को वापस ले लिया। जिसे उस परिवार ने अपना अपमान बताया है।

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दरअसल जबलपुर (Jabalpur) के बरेला स्थित पड़वार गांव में मुख्यमंत्री कन्यादान सम्मेलन में एक कन्या का विवाह कराया गया। जहां मुख्यमंत्री के द्वारा दी जाने वाली सामग्री और मदद भी दी गई। लेकिन देने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा उस मदद को वापस ले लिया गया। जिसे उस परिवार ने अपना अपमान बताते हुए जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है।

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पीड़ित परिवार ने कलेक्टर को शिकायत करते हुए बताया कि पड़वार ग्राम के सरपंच के द्वारा उनकी बेटी का विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान में कराने की बात कहकर फॉर्म भराया गया था। जिसके बाद उनके द्वारा लड़के-लड़की की हल्दी का कार्यक्रम और सभी रिवाज घर पर पूरे किए। लेकिन सरपंच ने उन्हें बताया की सम्मलेन स्थगित हो गया है। जिसके बाद उन्होंने जैसे-तैसे अपनी बेटी का विवाह घर पर ही साधारण तौर पर कर दिया। लेकिन इसके कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री कन्यादान सम्मलेन से फ़ोन आया कि इस दिनांक को आपकी बेटी का विवाह है। जहां वर-वधु सम्मलेन में पहुँचे और वहां पर फिर से दोबारा विवाह कराया गया 

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शादी के बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने योजना के अनुसार वर-वधु को घर-गृहस्थी का सामान भेंट किया। लेकिन जैसे ही अधिकारियों को पता चला कि घर में वर-वधू का पहले से विवाह हो चुका है।  योजना का लाभ लेने के लिए दोबारा विवाह किया गया है। जिसके बाद अधिकारियों ने दिया हुआ सामान वापस ले लिया। वहीं अब पीड़ित परिवार का कहना है कि उनकी सबके सामने बेज्जती की गई। जबकि उन्हें खुद फोन करके बुलाया गया था। अब परिवार ने अपना अपमान बताते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।

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