कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े व्यापम घोटाले के बाद अब मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी का घोटाला प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा घोटाला बनता जा रहा है. मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी पर कई छात्रों के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लग रहे हैं. यूनिवर्सिटी पर पैसे देकर नंबर बढ़ाने के भी गंभीर आरोप लगे हैं. इसी कड़ी में इंदौर की एक एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है.
छात्रा का कहना है कि उसने एक पेपर छोड़कर बाकी सब में टॉप किया है, लेकिन ऑब्स एन्ड गाइनेकोलॉजी के पेपर उसे महज 10 नंबर दिए गए हैं. जो कहीं से भी सही नहीं है. छात्रा ने मांग की है कि इस मामले में एक उच्च कमेटी बनाकर जांच की जानी चाहिए. साथ ही मेरिट के हिसाब से रिजल्ट घोषित होना चाहिए.
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कुलपति ने कहा सब ट्रांसपेरेंट
मामले में कुलपति टीएन दुबे ने कहा कि सारी चीजें बिल्कुल ट्रांसपेरेंट तरीके से चल रही है. कुलपति का कहना है कि रिजल्ट बनाने वाली कंपनी जरूर फरार है, लेकिन मामला कोर्ट में चल रहा है. जो भी कोर्ट का फैसला होगा उसके हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ एबीवीपी के प्रदेश महामंत्री सुमन यादव का कहना है कि पिछले 7 सालों से इस विश्वविद्यालय में पांच खेल का खेल चल रहा है. जिसके चलते हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हो चुका है.
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सालों से भटक रहे छात्र-छात्रा
छात्र शुभम डाबर का कहना है कि उन्हें फाइनल ईयर में एक पेपर में फेल कर दिया गया है. जिसके चलते ये पिछले कई महीनों से रिवैल्युएशन कराने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी सुनने को तैयार ही नहीं है. जिसके चलते आगे की पढ़ाई के लिए भटक रहे हैं. वहीं छात्रा रूपा बैस भी जालसाजी का शिकार हुई हैं. उन्होंने कहा कि उनके प्रैक्टिकल नंबर अंकसूची में जोड़े ही नहीं गए हैं.
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रिजल्ट बनाने वाली कंपनी ने किया कारनामा
ये मामला प्रदेश की इकलौती मेडिकल यूनिर्वसिटी से जुड़ा है. इस नवीन प्रकरण में जहां छात्र-छात्राओं को पास-फेल करने का बड़ा खेल खेला गया. वहीं ऐसे छात्र-छात्राओं को भी पास कर दिया गया जो परीक्षा में अनुपस्थित रहे. इस घोटाले का आरोप विश्वविद्यालय का रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स पर लगा है. माइंडलॉजिक्स कंपनी छात्रों के रिजल्ट बनाने का काम करती थी. कंपनी, छात्र- छात्राओं के गोपनीय डेटा पर ही कुंडली मारकर बैठ गई. कंपनी से जानकारी मांगे जाने पर कंपनी ने बंगलूरू स्थित अपना कार्यालय लॉकडाउन में बंद होने का हवाला देकर जानकारियां देने में आनकानी की.
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कार्रवाई में 4 अधिकारियों पर गिरी गाज
बता दें कि मामले में अब तक कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है. जबकि रिजल्ट बनाने वाली कंपनी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. लेकिन सवाल अब भी जिंदा है कि जिन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है उनकी भरपाई कैसे होगी. इस सवाल का जवाब अब तक किसी के पास नहीं है. यूनिवर्सिटी की नई-नई शिकायत आने का सिलसिला भी जारी है. फिलहाल मामला कोर्ट में है. कई याचिकाएं दाखिल की हैं.
ऐसे हुआ पूरा खेल
मध्यप्रदेश की एक नामी विश्वविद्यालय में रिजल्ट बनाने वाली कंपनी सॉफ्टवेयर में बदलाव कर एग्जाम कंट्रोलर और गोपनीय विभाग के निजी ईमेल अंक भेजती है. फिर उनके कहने पर छात्रों के अंक में फ़ेरबदल किए जाते हैं और पास फेल के इस खेल में ऐसे छात्रों को भी पास कर दिया जाता है जिन्होंने परीक्षा दी ही नहीं.
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