मनोज उपाध्याय, मुरैना। मध्य प्रदेश में अधिकारियों की मिली भगत व लापरवाही की वजह से ग्रामीणो को स्वच्छ व साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के ग्रामीणों को स्वच्छ-साफ पानी देने वाली योजना को अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। वहीं ग्रामीण पीने के पानी के लिए 100 से लेकर 200 रुपए प्रति माह देने को मजबूर हैं, तब कहीं जाकर उन्हें पीने का साफ पानी उपलब्ध हो पता है। केंद्र सरकार आम लोगों की सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन योजना के लाभ से अभी भी ग्रामीण वंचित है।
मुरैना जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर दिमनी विधानसभा क्षेत्र के बरेथा पंचायत में प्रधानमंत्री नल जल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इस पंचायत में कई गांव है। पीएम नल जल योजना की टंकी आज से 4 वर्ष पहले बन चुकी है और गांव वालों को पानी की सप्लाई की जा रही है। इसके पाइप नालियों में बिछाए गए है जो ऊपर दिखाई दे रहे हैं। अगर किसी मवेशी के द्वारा उन पाइपों पर पैर रख दिया गया तो पाइपलाइन फूट जाएगी। जबकि नियमनुसार पाइप लाइन को ढाई से 3 फीट की गहराई में डालना होता है, लेकिन सभी नियमों को ताक पर रख नल की लाइन का काम किया गया।
वहीं बरेथा पंचायत में कई जगह पाइप लीकेज है। जिसकी वजह से गांव वालों के घरों में बदबूदार गंदा नालियों का पानी पहुंचता है। जिसमें नाली के कीड़े भी निकालते हैं। जिससे लोगों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। गांव वालों का कहना है कि कई बार हमने ठेकेदार से शिकायत की लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता है। ठेकेदार कहता है कि आप कही भी जाए कलेक्टर एसपी या पीएचई विभाग के किसी भी अधिकारी से शिकायत करिए मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
स्कूलों में भी पीने का पानी नहीं
देवी सिंह के पुरा में प्राथमिक विद्यालय है, उसमें भी बच्चों के लिए पीने का पानी नहीं है। शिक्षक ने बताया कि हमारे स्कूल में आंगनबाड़ी का निर्माण किया गया था, तभी हैडपंप लगाया गया था। ठेकेदार ने बोर नहीं करते हुए इस हैडपंप में मोटर डाल दी और विद्यालय के लिए नल के कनेक्शन कर दिए, लेकिन 10 दिन बाद ही हैडपंप का बोर फेल हो गया। जिससे स्कूल के छात्र-छात्राएं पानी पीने के लिए परेशान है। दूसरे स्कूल में लगी हैडपंप से पानी पीने के लिए जाते हैं।
वहीं दूसरी ओर चेंटा बरेथा गांव में नल जल योजना अधूरी पड़ी हुई है। आज से 1 वर्ष पहले पीएचई ने बोर किया गया। उसके बाद घरों के लिए पानी की सप्लाई शुरू हुई थी। 15 दिन बाद वह बोर भी फेल हो गया। उसके बाद पीएचई ने दूसरा बोर कराया। इस बोर को भी एक वर्ष हो गया, लेकिन उसमें अभी तक मोटर डालकर चालू नहीं किया गया। पास ही में बने प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए पानी पीने के लिए कोई स्रोत नहीं है। छात्र-छात्राओं को प्यास लगती है तो वह या तो घर या शिक्षक के द्वारा एक पानी की टंकी भर कर रख दी जाती है उसमें छात्र पानी पीते हैं।
बरेथा पंचायत में नल जल योजना को बने हुए 4 साल हो गए, लेकिन अधूरी और लीकेज नल की पाइप को हैंण्डओंवर करने से गांव के सरपंच ने मना कर दिया। ठेकेदार ने कई बार सरपंच को हैंण्डओवर लेने की बात कही, लेकिन सरपंच ने लीकेज और अधूरी नल जल योजना का हैंण्डओवर लेने से इनकार कर दिया। मुरैना जिले में यही गांव नहीं ऐसे कई गांव है जिनमें ठेकेदारों ने लापरवाही की। जिसकी वजह से शासन का करोड़ों रुपये बर्बाद हो गया। जिम्मेदार अधिकारी आखिर लापरवाह ठेकेदारों पर क्यों करवाई नहीं करते हैं?
सीईओ ने कही जांच की बात
प्रशासनिक अधिकारी जिला पंचायत सीईओ इच्छित गढ़पाले ने कहा कि अगर इस तरह से ठेकेदार ने काम और उसे पीएचई अधिकारी ने पास किया है तो उसकी हम पीएचई के वरिष्ठ अधिकारी व इंजीनियर से जांच कराकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। सीईओ इच्छित गढ़पाले ने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण को स्वच्छ और साफ पानी देना है। अगर ग्रामीण के घरों में गंदा पानी जा रहा है, तो चिंता का विषय है इस पर हम जल्द ही कार्रवाई करेंगे।
कांग्रेस ने लगाया ये आरोप
दिमनी से कांग्रेस के विधायक रविंद्र सिंह तोमर का कहना है कि मैंने नल जल योजना को लेकर विधानसभा में प्रश्न उठाया है। केंद्र और राज्य सरकार का लाखों हजारों करोड़ रुपये बर्बादी की ओर जा रहा है। दिमनी विधानसभा के प्रत्येक गांव का मैंने भी सर्वे किया है। विधानसभा के किसी भी गांव में एक भी व्यक्ति ने नहीं कहा कि यह योजना सफल है। भाजपा नेता योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग बैनर लगाकर प्रचार प्रचार कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
जनता के पैसों की बर्बादी- कांग्रेस विधायक
विधायक रविंद्र ने कहा कि लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों को पानी मोल कर खरीदना पड़ रहा है। इसकी शिकायत मैंने पीएचई अधिकारी, प्रमुख सचिव ए एन सी को लिखित में की लेकिन आज तक इसकी गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार है। 50% लेकर अपना काम बना रही है फिर जांच कैसे होगी। अगर नल जल योजना को सफल बनाना होता तो सरकार ठेकेदार को 10 वर्ष का मेंटेनेंस जोड़ कर देती है, तो नल जल योजना सफल हो जाएगी। इस योजना में घटिया किस्म की पाइप लाइन डाली गई है। जनता के खून पसीने की कमाई के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है यह नल जल योजना पूरी तरह से फेल है।
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