दीपक कौरव, नरसिंहपुर। समलैंगिक शादी को लेकर पूरे देश भर में नई बहस छिड़ गई है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने की मांग से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई चल रही है। वहीं केंद्र सरकार इसके विरोध में है। केंद्र का कहना है कि ऐसा करना भारत की पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ होगा।
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शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज (Shankaracharya Swami Sadanand Saraswati Ji Maharaj) ने भी समलैंगिकता का विरोध करते हुए केंद्र सरकार का समर्थन किया है। नरसिंहपुर के झौतेशुर में स्थित अपने आश्रम पहुंचे द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य ने कहा कि इसे न्यायालय से मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। धर्म ऐसी परंपरा को मान्यता नहीं देता है। इससे देश में कई तरह की बीमारियां फैलने लगेगी।
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शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमारे यहाम आठ प्रकार की विवाह पद्धति है, जिसमें स्त्री पत्नी होती है और पुरुष पति होता है, लेकिन समलैंगिकता में कौन पति होगा.. कौन पत्नी होगा.. यह कैसे तय होगा.. सनातन हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता को पाप की श्रेणी में रखा गया है। हमारी संस्कृति में यह दोष पूर्ण माना गया है। ऐसी परंपरा से धर्म और संस्कृति का नाश होगा।
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