कर्ण मिश्र, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट ने सहयाक बीज प्रमाणन अधिकारी के नौकरी से अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनावई करने से इनकार कर दिया. सहायक बीच प्रमाणन अधिकारी को नौकरी के दौरान तीसरा बच्चा होने पर नौकरी से अयोग्य करार दिया गया था. इस आदेश के खिलाफ अधिकारी ने कोर्ट में अपील की थी.

फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सिविल सेवा अधिनियम 1961 के तहत अगर तीसरा बच्चा हुआ तो वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाएगा, इसलिए इस अधिनिमयम के तहत आप नौकरी के लायक नहीं है.

जनसंख्या नियंत्रण कानून से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले में कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी 2001 को कानून लागू हुआ है. इस दिनांक के बाद तीसरा बच्चा हुआ तो सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माने जाएंगे. युगल पीठ ने सिंगल बेंच के पूर्व के आदेश को सही ठहराया है.

दरअसल प्रदेश में जनसंख्या के नियंत्रण के लिए 26 जनवरी 2001 को कानून लागू किया गया था. इसके मुताबिक यदि महिला व पुरुष को इस कानून के लागू होने के बाद तीसरा बच्चा होता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाएगा. उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. न ही उसे शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

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आपको बता दें कि वर्ष 2009 में लक्ष्मण सिंह बघेल ने व्यापमं के माध्यम से आयोजित सहायक बीज प्रमाणन अधिकारी की परीक्षा पास की थी. मेरिट सूची में इनका नाम 7-8 नंबर पर था. इन्हें शासकीय सेवा में लेने से पहले वैरिफिकेशन किया गया. शपथ पत्र में तीसरी संतान होने की बात को छिपा लिया था, लेकिन मूल निवासी प्रमाण पत्र में तीसरी संतान की जानकारी दर्ज होने से विभाग के संज्ञान में गया. इस संबंध में लक्ष्मण सिंह ने शपथ पत्र में तीसरे बच्चे का जन्म 2012 में बताया. इस बात को छिपाने के बाद विभाग ने लक्ष्मण सिंह के खिलाफ एफआइआर की अनुशंसा की थी.

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मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि परीक्षा दिनाें के बाद तीसरे बच्चे का जन्म हुआ है, इसलिए कानून उसके ऊपर लागू नहीं होता है. उम्मीदवार की योग्यता आवेदन जमा करने की तिथि से मापी जाती है. याचिकाकर्ता को नियुक्ति के बाद बच्चा हुआ है. उसे गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया है. एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद युगल पीठ में अपील दायर की. लक्ष्मण सिंह बघेल को कोई राहत नहीं मिल सकी. अपील खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरा बच्चा हुआ तो उसके ऊपर कानून लागू माना जाएगा.

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