हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश में जिला जज का फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर पदोन्नति पाने वाले आईएएस संतोष कुमार वर्मा को रिमांड खत्म होने पर पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां एमजी रोड पुलिस को 17 जुलाई तक रिमांड मिली है. पिछले दो दिनों की पूछताछ में कई तकनीकी टेक्निकल एविडेंस पुलिस ने जप्त किए हैं.

दो दिन की रिमांड में संतोष वर्मा और जिला अभियोजन अधिकारी सहित अन्य लोगों से भी पूछताछ की गई है. मामले में अन्य लोगों की संलिप्तता भी सामने आ सकती है. इस पूरे मामले की सघन जांच के लिए कोर्ट में पुलिस ने कोर्ट से रिमांड मांगी थी. जिसे कोर्ट ने मानते हुए 17 जुलाई तक की रिमांड पुलिस को सौंपी है.

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इस मामले में आईएएस संतोष वर्मा के पैसे लेनदेन को लेकर भी कई बातें सामने आ रही हैं. कोर्ट में पेशी के दौरान उनसे जब यह सवाल पूछा गया कि उन्हें इसके लिए किसी को पैसे दिए थे तो इस पर अधिकारी ने चुप्पी साध रखी थी.

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यह है मामला

संतोष वर्मा के खिलाफ साल 2016 में एक महिला की शिकायत पर इंदौर के लसुड़िया थाने में शादी का झांसा देकर ज्यादती करने का मामला दर्ज किया गया था. चूंकि संतोष वर्मा को राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशानिक सेवा यानी आईएएस (IAS) के पद पर पदोन्नत किया जा रहा था. तब लोक सेवा आयोग ने इनके खिलाफ दर्ज अपराधिक प्रकरण और कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी मांगी थी. लेकिन संतोष वर्मा ने बरी होने का कोर्ट का झूठा आदेश पेश कर आईएएस (IAS) पद पर पदोन्नती ले ली.

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