कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के थाना परिसरों में बने मंदिर और धार्मिक स्थलों के मामले में आज फिर से हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को प्रदेश भर के थाना परिसरों के अंदर बने मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की पूरी सूची पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि मंदिरों के निर्माण की तिथि के अलावा किसके आदेश पर धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ है इसका पूरा ब्यौरा अदालत में पेश किया जाए।
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार के रुख पर तल्ख टिप्पणी भी की। कोर्ट ने सरकार की किसी भी दलील को मानने से इनकार करते हुए थाना परिसरों में मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण से संबंधित ब्यौरा पेश करने के लिए सरकार को 7 दिन की मोहलत दी है। जबलपुर के अधिवक्ता सतीश वर्मा की ओर से दायर इस याचिका में प्रदेश के थाना परिसरों के अंदर मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण को लेकर चुनौती दी गई है। याचिका में प्रदेश के 1259 में से करीब 800 थाना परिसरों में मंदिर और धार्मिक स्थल बनाए जाने को लेकर ऐतराज जताया गया है।
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याचिका में थाना परिसरों में धार्मिक स्थलों के निर्माण को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में नए बनने वाले मंदिरों में भव्य तरीके से मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया जा रहा है। यहां तक की थानों में बने मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर आए दिन विभिन्न अनुष्ठान भी किया जा रहे हैं जिससे पुलिस का काम प्रभावित होता है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी निर्धारित की है।
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