अजयारविंद नामदेव, शहडोल। आम तौर पर आपने रेत माफिया, कोल माफिया के बारे में अक्सर सुना व देखा होगा, लेकिन मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो अनाज की हेरा फेरी कर रहा है. जिले में खाधान्नों के स्टोरेज का काम करने वाली स्कॉई लाइन एग्रो प्राइवेट लिमिटेड नामक संस्था नें खाधान्नों के हेरफेरी होने की एक शिकायत कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक से की है.

संस्था के स्थानीय जिम्मेदारों नें लिखित शिकायत करते हुए बताया है कि नागरिक आपूर्ति विभाग ने रिकार्ड में गड़बड़ी की है. जिसमें पांच लॉट फर्जी तरीके से चढ़ा हुआ है. जिसका संस्था के रिकार्ड से मिलान नहीं हो रहा है. शिकायत कर्ता का आरोप है कि पूरे मामले मे बड़ा गोलमाल हुआ है. जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. अधिकारियों के अनदेखी के चलते जिले में अनाज की कालाबाज़ारी चल रही है.

मामला जिले के स्काई लाइन एग्रो प्राइवेट लिमिटेड (जेव्हीएस) ग्राम गोरतरा का है. जहां संरक्षक हरीश मेहता और प्रबंधक राकेश तिवारी ने नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक, कलेक्टर, एवं संभागायुक्त से शिकायत की है कि यासिर राइस मील के संचालकों ने फर्जी तरीके से गोदाम से साढ़े चार लॉट चावल का गबन कर लिया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए जेव्हीएस के संरक्षक हरीश मेहता ने बताया की कथित यासिर राइस मील ने कुछ जिम्मेदारों से साठगांठ कर एक ही गाड़ी को एक ही समय में 2 जगहों पर खाली हो की जानकारी दी है. साथ ही यह भी बताया है कि प्रबंधक राकेश तिवारी के फर्जी हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया गया है. मिलर के द्वारा गोदाम के लिए भेजी गई चावल खेप में भी गड़बड़ी सामने आई है. परिवहन में मिलर ने एक ही कांटा पर्ची का चार बार इस्तेमाल किया है.

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आपको बता दें कि जुलाई 2020 में हुई इस गड़बड़ी की शिकायत स्काई एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी फरवरी- मार्च 2021 में की थी. जिसमें उन्होनें 2610 बोरी चावल नागरिक आपूर्ति विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक ज्यादा दिखाए जानें की शिकायत की थी. इतना ही नहीं शिकायतकर्ताओं नें कहा है कि इस जांच के दौरान उनके साथ किसी भी तरह की घटना दुर्घटना होती है तो, उसे भी इस जांच से जोड़कर देखा जाना चाहिए.

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बता दें कि नॉन द्वारा मिलरों को धान उपलब्ध कराया जाता है. धान से तब्दील चावल स्टोरेज के लिए स्काई एग्रो प्राइवेट लिमिटेड जैसे स्थानों पर भेजा जाता है. जहां कांटा होने से लेकर लॉट और सेंपलिंग का पूरा रिकार्ड दोनों ही जगह संधारित होता है, लेकिन 2020 में पांच ऐसे ट्रक सामने आए, जिनके दस्तावेजों के मिलान और रिकार्ड अलग- अलग हैं. लाखों के खधान्न के पूरे मामले की शिकायत लंबे समय से है, लेकिन जांच की आंच अब तक दोषियों तक नहीं पहुंच सकी है.

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