भोपाल. विश्व जल दिवस प्रदेश की जनता के लिए खुशियां लेकर आया है. इस दिवस पर प्रदेश की बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा-परियोजना पूरी होने जा रही है. इस परियोजना से बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘जल शक्ति अभियान के तहत कैच द रेन का शुभारंभ किया गया. इसी कार्यक्रम में पीएम की उपस्थिति में केन-बेतवा परियोजना को लेकर सोमवार को एमओयू हुआ.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए है. इस परियोजना को लेकर केंद्र, मप्र और उप्र का त्रिपक्षीय समझौता हुआ है. इससे मप्र के बुंदेलखंड एरिया में सिंचाई, ऊर्जा और पेयजल की जरूरतें पूरी होंगी.
बता दें कि इस योजना की शुरुआत वर्ष 2005 से हुई थी. 2008 में इसका खाका तैयार हुआ था. वर्षों से यह परियोजना लंबित थी. वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना पर अमल को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे. इस परियोजना में पहले मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति थी.
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पूर्व सीएम कमलनाथ ने किया ट्वीट
इस मामले को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट किया है. उन्होंने वर्षों से लंबित केन-बेतवा लिंक परियोजना का एमओयू हस्ताक्षर होने पर खुशी जाहिर की है. कहा कि इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र का विकास होगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार के दबाव में शिवराज सरकार ने अनुबंध की शर्तों के विपरीत कई मुद्दों पर प्रदेश के हितों के साथ समझौता किया है.
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एमओयू में तय शर्त सरकार सार्वजनिक करें
कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश रबी सीजन के लिए 700 एमसीएम पानी उत्तप्रदेश को देने पर सहमत था. उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा अधिक मात्रा में पानी देने का दबाव बनाया जा रहा था. जबकि इस परियोजना से हमारे प्रदेश के कई गांव, जंगल डूब रहे हैं. डूबत क्षेत्र के कई गांवों का विस्थापन हमें करना पड़ेगा. पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र की 5500 हेक्टेयर जमीन सहित करीब 9 हजार हेक्टेयर जमीन डूब में आ रही है. हमारा बड़ा क्षेत्र डूब रहा है. कुछ पर्यावरण आपत्तियां भी थी. इस परियोजना से उत्तरप्रदेश को मध्यप्रदेश के मुकाबले अधिक लाभ होना है. इसलिये वर्षों से कई मुद्दों पर हमारी आपत्ति थी. शिवराज सरकार ने मोदी सरकार के दबाव में प्रदेश हित के मुद्दों की अनदेखी की है. सरकार को इस परियोजना में तय अनुबंधों की शर्तों, विवाद, प्रदेश के हितों की अनदेखी एवं वर्तमान एमओयू में तय शर्तों की जानकारी सार्वजनिक कर प्रदेश की जनता को वास्तविकता बताना चाहिए.