उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल मंदिर में रंगपंचमी पर श्रद्धालुओं को आज रंग लगाने का मौका नहीं मिला. कोरोना के बढ़तेसंक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिसके चलते मंदिर में भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को टेसू के फूलों को गर्म करके केसर मिले हुए रंग को लोटे से चढ़ाया गया. सुबह हुई भस्म आरती के साथ ही महाकाल मंदिर में रंग बिखरने शुरू हो गया. भगवान महाकाल का गर्भ गृह रंगों से सराबोर हो गया. महाकाल मंदिर के पंडे पुजारियों ने अपने आराध्य राजाधिराज बाबा महाकाल के साथ रंगपंचमी खेली.

इसे भी पढ़ें: भीषण सड़क हादसा: कार और बाइक में सीधी टक्कर से 3 की मौत, मृतकों में 1 महिला

बिना भक्तों के हुई भस्म आरती
बता दें कि रंगपंचमी पर उज्जैन का माहौल ब्रज जैसा ही रहता है. हालांकि प्रति वर्ष रंगपंचमी के अवसर पर बाबा महाकाल के साथ होली खेलने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती हैं. उज्जैन में हर त्योहार सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार में मनाया जाता है. चाहे दीवाली, होली या रंग पंचमी हो. इसी कड़ी में महाकाल मंदिर में सबसे पहले रंग पंचमी मनाई गई. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर पहले से ही मंदिर में आदेश जारी किए गए थे कि भस्म आरती में भक्त भी नहीं होंगे. पण्डे पुजारी आपस में भी रंग नहीं लगाएंगे.

इसे भी पढ़ें:  कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रामक पोस्ट, इंदौरी मीडिया नामक इंस्टाग्राम पर एफआईआर दर्ज …

वर्षों पुरानी परंपरा 
प्रदेश के कुछ हिस्सों में होली के बाद मनाये जाने वाला रंगपंचमी का त्यौहार शुक्रवार को मनाया गया. परन्तु उज्जैन के महाकाल मंदिर में रंगपंचमी के त्यौहार की शुरुआत अल सुबह होने वाली भस्म आरती से हुई. पण्डे पुजारियों ने आरती में लीन होकर टेसू के फूलों से बने रंगों के साथ रंगपंचमी मनाई. महाकाल मंदिर में रंगपंचमी का पर्व मानाने की परंपरा आदि अनादिकाल से चली आ रही. सबसे पहले बाबा महाकाल की भस्म आरती में पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया. मंत्रोच्चार के बाद भस्म रमय्या को भस्म चढ़ी और रंगों से बाबा महाकाल को सराबोर किया गया.

प्रतीकात्मक रंगपंचमी मनाई 
कोरोना संक्रमण के चलते महाकाल मंदिर में रंगपंचमी उत्सव प्रतीकात्मक देखने को मिला. पुजारियों ने रंगपंचमी पर महाकाल को लोटे से रंग अर्पित कर रंगपंचमी मनाई. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पहले से ही गाइडलाइन जारी की गई थी. भस्म आरती के दौरान श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पहले से ही प्रतिबंध था. प्रति वर्ष भस्म आरती के बाद पंडे पुजारी भी रंगपंचमी मनाते हैं. जिला प्रशासन ने इस पर भी प्रतिबंध लगा रखा था. जिसके चलते भस्म आरती के दौरान लोटे से भगवान को रंग चढ़ाए गए.

read more- Aggressiveness towards Hacking: Indian Organizations under Chinese Cyber Attack

स्पोर्ट्स की ये खबरें जरूर पढ़ें राजधानी 

मनोरंजन की ये खबरें जरूर पढ़ें