संदीप शर्मा, विदिशा। कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से शहरों में अस्पताल कम पड़ने लगे हैं। दहशत भी ऐसी कि डॉक्टर भी इलाज से कतरा रहे हैं। जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी हो गई है। आलम यह है कि जिस कोरोना का शहर के अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पा रहा है। उस भयावह कोरोना का इलाज गांव के खेतों में हो रहा है, मरीजों की जान के साथ ऐसा खिलवाड़ झोलाछाप डॉक्टर कर रहे हैं।

मामला मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के नटेरन तहसील का है. यहां एक गांव में झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम कोरोना मरीजों का इलाज कर रहा है. कोरोना मरीजों के इलाज के साथ ही ये बिना डिग्री वाले स्वयंभू डॉक्टर साहब अन्य मरीजों का इलाज भी खेत में पेड़ों के नीचे कर रहे हैं.

पेड़ों के नीचे हो रहा इलाज
ग्राम वर्धा में झोलाछाप डॉक्टर ने खेत में अस्पताल बना दिया है. यहां पर खेत में पेड़ों के नीचे पलंग बिछा कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यहां डॉक्टर मरीजों को इन्हीं पेड़ों के नीचे ड्रिप और सलाइन बॉटल लगा रहे हैं. लापरवाही का आलम ये है कि यहां कूल टेंपरेचर में रखी जाने वाली मेडसिन 13 सेट के कबाड़ नुमा कमरे में रखी हुई हैं.

पिता की डिग्री पर बेटा कर रहा इलाज
जिले में लापरवाही का ये आलम है कि पिता की डिग्री पर बेटा इलाज करते मिला. इस बारे में डॉक्टर अब्दुल करीम खान ने बेशर्मी के साथ खुद कहा क‍ि हमारे पिताजी के पास डिग्री है और उसी डिग्री से हम मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इन लोगों को कमजोरी है तो ड्रिप चढ़ा देते हैं. उन्होंने कहा कि थोड़ा बहुत कोरोना का इलाज भी कर देते हैं.

हालांकि अब मामला स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में आने के बाद इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई करने की बात कर रहा है. जब मामला बीएमओ के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने कहा क‍ि सीएमएचओ को लिखकर कार्रवाई करवाएंगे.