हेमंत शर्मा, इंदौर। अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहने वाली कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर ने इस दफा एक बड़ा बयान दे दिया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन पर ही उन्होंने सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि नकली रेमडेसिविर लगने के बाद भी लोगों की जान बच रही है। ये यह सोचने के लिए बाध्य करती है कि कहीं इंजेक्शन (असली रेमडेसिविर, टोसी) की हाई डोज देने के कारण मौत हो रही है। कई बार हाईडोज बहुत ज्यादा तकलीफ दे रहा है, मैं 15-17 ऐसी मृत्यु को देख चुकी हूं, जो मुझे भी लगता है कि हाईडोज की वजह से हुई है। उऩ्होने उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे किसान संघ का नेता महू का मोहन पांडेय उसे 6 रेमडेसिविर लगे, टोसी लगे लेकिन उसे बचा नहीं पाए।
उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर, टोसी संजीवनी बूटी नहीं है, प्रमाणिक इलाज भी नहीं है। नागरिक इसके पीछे ना पड़ें, डॉक्टर तय करेगा कि ये इंजेक्शन देना है या नहीं। इस दौरान मंत्री ने यज्ञ की आहुति देने वाले अपने बयान पर टिकी रही , उन्होंने कहा कि तथ्यों के आधार पर मैं प्रमाण दे सकती हूं कि वैदिक पद्धति कितनी कारगर है। स्वस्थ्य रहने के लिए वैदिक जीवन पद्धति को अपनाना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ये माना है कि भारतीय वैदिक जीवन पद्धति को अपनाना ज़रूरी है। उषा ठाकुर ने कहा कि सरकार इसको हर जगह लागू करें, कोई दिक्कत नहीं ये आस्था का विशेष है, जाति -धर्म से ना जोड़ें।
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