कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के खुलासे होने से छत्तीसगढ़ के कोरोना मरीजों की जान बच गई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की एक दवा फर्म ने भी उसी फर्म को रेमडेसिविर इंजेक्शन का ऑर्डर दिया था, जिसने देश भर में 1 लाख से ज्यादा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाए थे।

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रायपुर की डायमंड एजेंसी ने पहली खेप में 200 रेमडेसिविर इंजेक्शन का ऑर्डर मुख्य आरोपी कौशल वोरा की फर्म आदिना डिस्पोजेबल को दिया था। डायमंड एजेंसी ने बतौर एडवांस रैकेट के मुख्य आरोपी कौशल वोरा की फ़र्म आदिनाथ डिस्पोज़ेबल के खाते में 6,80,400 रुपये ट्रांसफर किया था। लेकिन गनीमत यह रही कि इंजेक्शन सप्लाई से पहले ही रैकेट का भंडाफोड़ हो गया और गुजरात पुलिस ने आरोपियों को धर दबोचा।

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इंजेक्शन नहीं मिलने से डायमंड कंपनी ने रायपुर के माना थाना में इसकी शिकायत दर्ज कराई है कि पैसों का भुगतान करने के बाद भी आदिनाथ डिस्पोजेबल द्वारा उन्हें इंजेक्शन नहीं भेजा और उनका फोन स्वीच ऑफ बता रहा है। लल्लूराम डॉट कॉम के पास सारे दस्तावेज उपलब्ध हैं।

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आपको बता दें गुजरात के एक गांव में रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन बनाने की फैक्ट्री पकड़ाई थी। फैक्ट्री में ग्लूकोज और नमक रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशी में भरकर मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में इसकी सप्लाई की गई थी। गुजरात पुलिस ने मामले का खुलासा होने के बाद मध्यप्रदेश के इंदौर और जबलपुर से गुजरात पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जबलपुर से गिरफ्तार एक आरोपी के बयान के आधार पर जबलपुर पुलिस ने सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा को गिरफ्तार किया था। मोखा ने अपने अस्पताल में 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाए थे। सिटी अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता था।