सुशील खरे, रतलाम। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया। चुनाव को लेकर रतलाम में भी राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। आइए जानते हैं क्या कहता है रतलाम नगर निगम का पब्लिक मीटर?, यहां कौन मारेगा बाजी, किसकी होगी ताजपोशी…
एक नजर इतिहास पर…
रतलाम भारत के मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र का एक जिला है। मध्य प्रदेश के एक खूबसूरत शहर रतलाम में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सब कुछ है। अपने समृद्ध और जीवंत अतीत के साथ यह वास्तव में अपनी विरासत के सार को समेटता है। जालौर के राठौर राजवंश के रतन सिंह द्वारा स्थापित रतलाम राज्य 369 साल पुराना है और कहा जाता है कि इसकी स्थापना वसंत पंचमी के दिन हुई थी। रतलाम को पहले ‘रत्नपुरी’ कहा जाता था, जिसका अर्थ है ‘कीमती रत्नों का शहर’… रतलाम के पहले राजा महाराजा रतन सिंह थे। महाराजा रतन सिंह और उनके पुत्र राम सिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। रतलाम का महलवाड़ा आज भी रतलाम इतिहास की गवाही देता है। रतलाम राज्य के अंतिम राजा महाराज लोकेंद्र सिंह रहे। 1991 में लोकेंद्र सिंह और 1993 में उनकी पत्नी प्रभाराजे का निधन हो गया। रतलाम रियासत के अंतिम शासक लोकेंद्र सिंह के छोटे भाई रणवीर सिंह के वंशज आज जर्मनी में रहते हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान रतलाम भी एक रियासत थी। नया शहर जो मुख्य रूप से शहरी रतलाम है, की स्थापना कैप्टन बोरथविक ने वर्ष 1829 में की थी। अपने केंद्रीय भौगोलिक स्थान के कारण, यह ब्रिटिश शासन के दौरान मध्य भारत में एक वाणिज्यिक केंद्र था। अफीम, तंबाकू और नमक का व्यापार यहां से बड़े पैमाने पर किया जाता था।
रतलाम के जिले बनाए जाने का इतिहास भी कम रोचक नहीं है, जब देश स्वतंत्र हुआ तो रतलाम भी एक रियासत थी और इसके आसपास भी कई रियासतें थी जैसे कि रतलाम स्टेट, जाओरा, सैलाना, पिपलोदा, और कुछ देवास का भाग, कनिष्ठ और वरिष्ठ दोनों और ग्वालियर का कुछ भाग, इस प्रकार से 7 रियासतों को मिलाकर रतलाम का निर्माण हुआ और इसे नवनिर्मित मध्यप्रदेश राज्य में जोड़ दिया गया। रतलाम जिला वर्ष 1948 में बनाया गया। रतलाम-दिल्ली-मुम्बई रेल खंड में रतलाम दोनों महानगर के बीच का एक सबसे बड़ा जंक्शन है।रतलाम शहर सेव, साड़ी, सोना, सट्टा, मावा, दालबाटी के लिए प्रसिद्ध है।
1994 में बना नगर निगम
रतलाम जिले का इतिहास बहुत पुराना है। 1865 में यहां नगर पालिका बनी और 1981 में नगर निगम। नगर पालिका का निर्माण मीर मुंशी शाहमत अली ने किया था। तब ये नगर पालिका 45 वार्ड में बंटी हुई थी। रतलाम राज्य में नगर पालिका का पहला चुनाव साल 1944 में हुआ। 31 दिसम्बर 1980 तक रतलाम में नगर पालिका हुआ करती थी। 1 जनवरी 1981 को नगर निगम बनाने की घोषणा हुई और 1983 में इसका आदेश लागू हुआ। इसके बाद 1983 से 1994 तक नगर निगम में अध्यक्ष पद का चयन पार्षदों के माध्यम से चयन होता रहा।
5 जनवरी 1995 को नगर निगम में पहले महापौर पद के लिए जयंतीलाल जैन ने शपथ ली। साल 1994 में रतलाम नगर निगम बनने के बाद अब तक पांच बार परिषद का गठन हुआ है। इन पांच परिषद में कांग्रेस के एक और एक निर्दलीय महापौर के साथ तीन बार भाजपा के महापौर बने। 1994 में पहली निर्वाचित परिषद में कांग्रेस से जयंतीलाल जैन महापौर और कांग्रेस के ही सतीश पुरोहित अध्यक्ष बने। इसके बाद 1999 में निर्दलीय पारस सकलेचा महापौर बने, जबकि भाजपा के सुरेश जाट अध्यक्ष चुने गए।
वहीं 2004 में भाजपा की आशा मौर्य महापौर व कांग्रेस के विष्णु त्रिपाठी अध्यक्ष बने, जबकि 2009 में भाजपा के शैलेंद्र डागा महापौर और भाजपा के ही दिनेश पोरवाल अध्यक्ष बने। वहीं 2014 में भाजपा की सुनीता यार्दे महापौर और भाजपा के ही अशोक पोरवाल अध्यक्ष चुने गए। नगर निगम चुनाव 2014 भाजपा की सुनीता यार्दे और कांग्रेस की प्रेमलता दावे के बीच चुनाव हुआ था। 2014 में रतलाम नगर निगम में भाजपा के 31 पार्षद और कांग्रेस के 12 और एक निर्दलीय चुने गए थे। अब रतलाम महापौर का पद पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित हुआ है। रतलाम शहर में वर्तमान मतदाता की संख्या दो लाख से ज्यादा हैं।
इस बार कांग्रेस-बीजेपी के बीच टक्कर
बीजेपी ने इस बार प्रहलाद पटेल को उम्मीदवार बनाया है। खबर लिखे जाने तक कांग्रेस ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस से मयंक जाट, प्रभु राठौर, राजीव रावत के साथ मुबारिक खान के नाम की चर्चा हो रही है। मयंक जाट वर्तमान में शहर युवक कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर हैं और पूर्व में भी अध्यक्ष रह चुके हैं। मयंक जाट झाबुआ विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के करीबी बताए जाते हैं। इसी तरह राजीव रावत की बात करें तो राजीव नगर निगम में पार्षद रह चुके हैं और वह कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा मुबारिक खान वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व राशिद आर आर खान के बेटे हैं।
शहर की प्रमुख समस्याएं
रतलाम शहर की समस्याओं की बात करें तो आज भी शहर में समस्याओं का अंबार है। बेरोजगारी एक बड़ा मसला है, तो अतिक्रमण भी एक बड़ी समस्या है। रतलाम को नगर निगम बने 26 साल हो रहे हैं। लेकिन शहर की व्यवस्थाओं को देखकर ऐसा लगता नहीं है। रतलाम में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। यहां कई उद्योग बंद हो गए हैं। बड़े उद्योग के नाम पर एक मात्र कारखाना इप्का है जो दवा बनाने का कारखाना है। रोजगार के लिए यहां से बहुत से लोग पलायन भी करते हैं। वहीं रतलाम शहर जनसंख्या के हिसाब से बहुत संकरा हो गया है। अतिक्रमण एक बहुत बड़ी समस्या है। मुख्य बाजार इतने संकरे हो गए हैं कि चार पहिया वाहनो का यहां से निकलना मुश्किल हो गया है। इसी तरह शहर में सफाई का न होना भी बड़ी समस्या है। शहर में 6 बड़े नाले हैं, जिनमें से सिर्फ 3 नालों को पक्का किया गया है। पर धरातल पर चार नाले अभी भी कच्चे हैं, जिन पर अतिक्रमण हो रहा है। शहर के कचरे को लेकर धरातल पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कोई अस्तित्व नहीं है। शहर में चारों ओर जगह-जगह सब्जी की दुकान लगने लगी है। रतलाम प्राचीन धरोहरों का शहर है लेकिन यहां प्राचीन धरोहर का उचित रख-रखाव भी नहीं है। रतलाम का महावाड़ा भी पूरा जर्जर हो गया है। वहीं एक समय पहले अमृत सागर तालाब से रतलाम शहर की जल व्यवस्था होती थी। अब पूरे शहर का गंदा पानी इस तालाब में मिल रहा है।
क्या कहता है पब्लिक मीटर ?
अधिकांश लोगों ने निवृतमान महापौर के कार्यकाल को निष्क्रिय बताते हुए शहर की सड़कों की बदहाल स्थिति बताई। अब नए महापौर के लिए ये सारी समस्याएं चुनौती के रुप में होंगी कि वो कैसे इन सब समस्याओं को दूर करते हैं।
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